नई दिल्ली:– यूनेस्को ने मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित असाधारण किलेबंदी और सैन्य प्रणाली का प्रतिनिधित्व करने वाले मराठा किलों को शुक्रवार को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया। भारत के ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए नामांकित किया गया था।
इस प्रस्ताव का मूल्यांकन 6 से 16 जुलाई के बीच पेरिस में चल रहे यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति (WHC) के 47वें सत्र में किया गया। यूनेस्को की सूची में शामिल होने के लिए दुनिया भर से कुल 32 नए स्थलों के नामांकन पर चर्चा की जा रही थी। इन चर्चाओं में भारत का यह ऐतिहासिक सैन्य तंत्र को शामिल किया गया था। भारत ने अपनी ओर से यह नामांकन 2024-25 चक्र के लिए प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया गौरवशाली पल
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि मराठा शासकों की किलेबंदी प्रणाली का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना राज्य के लिए “गौरवशाली क्षण” है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “सचमुच, यह महाराष्ट्र और भारत के लिए एक अद्भुत क्षण है! इसे संभव बनाने के लिए आपके सभी प्रयासों और समर्थन के लिए धन्यवाद सर!”
क्या है ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’?
‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ में 12 किले और किलेबंद क्षेत्र शामिल हैं जो 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित किए गए थे। यह किले मराठा साम्राज्य की सैन्य शक्ति, रणनीति और निर्माण कला का अद्भुत उदाहरण माने जाते हैं। ये किले न केवल सुरक्षा के लिए बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण थे
महाराष्ट्र और तमिलनाडु के ये किले शामिल
इन 12 स्थानों में महाराष्ट्र का साल्हेर किला, शिवनेरी किला, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, लोहगढ़, खांदेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु का जिन्जी किला भी शामिल है। इन किलों को देश के कई भौगोलिक और प्राकृतिक क्षेत्रों में इस तरह से बनाया गया था कि वे मराठा शासन की सैन्य ताकत को दर्शाते हैं। इनमें पहाड़ी क्षेत्रों, समुद्र के किनारे और अंदरूनी मैदानों पर बने किलों का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
कैसे चल रही है मूल्यांकन प्रक्रिया?
विश्व धरोहर समिति की बैठक में 11 से 13 जुलाई के बीच 32 स्थलों की समीक्षा करेगा। भारत के इस नामांकन के साथ-साथ कैमरून का डीआईवाई-जीआईडी-बीआईवाई सांस्कृतिक क्षेत्र, मलावी का माउंट मुलंजे सांस्कृतिक परिदृश्य, और यूएई का फाया पैलियोलैंडस्केप जैसे स्थलों पर भी चर्चा में रहे। इसके अलावा दो पहले से ही यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सीमाओं में संभावित बदलाव के प्रस्तावों पर भी विचार किया गया।
एक देश से एक नामांकन नियम
यूनेस्को के ‘ऑपरेशनल गाइडलाइंस 2023’ की माने तो हर देश एक बार में एक ही नामांकन जमा कर सकता है, जिसके बाद भारत ने इस साल के लिए मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स को चुना था।