आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं का जिक्र किया है। इतना ही नहीं उन्होंने तरक्की, रोजगार, बिजनेस, धन और स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का हल भी बताया है। चाणक्य ने नीति शास्त्र में यह भी बताया है कि आखिर ऐसी कौन-सी चीजें हैं जो व्यक्ति का आखिरी समय तक साथ निभाती हैं। चाणक्य कहते हैं कि यह चीजें सच्चे मित्र से भी ज्यादा व्यक्ति के लिए मायने रखती हैं।
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्र गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्र धर्मो मित्रं मृतस्य।।
श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने घर से बाहर रहता है, उसके लिए ज्ञान से बड़ा कोई मित्र नहीं है। जो शख्स अपनों से दूर रहता है उसके लिए ज्ञान ही अंतिम समय तक मदद करता है।
चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति की पत्नी उसकी अच्छी मित्र हो और उसका व्यवहार कुशल हो, ऐसे व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान मिलता है। इसके विपरीत अगर पत्नी में अवगुण होते हैं तो व्यक्ति को कई बार समाज में अपमान का सामना करना पड़ता है। नीति शास्त्र में चाणक्य कहते हैं कि पत्नी का साथ व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के लिए धैर्य और साहस देता है।
चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति की सेहत खराब हो उसके लिए दवा ही सच्ची मित्र होती है। क्योंकि दवा ही बीमार व्यक्ति को ठीक कर सकती है। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति के सबसे मित्र की लिस्ट में धर्म भी शामिल है। चाणक्य का मानना है कि किसी भी व्यक्ति के धर्म के रास्ते में चलकर किए गए काम याद किए जाते हैं। चाणक्य कहते हैं कि इस दौरान जो व्यक्ति जैसा पुण्य कमाता है, मरने के बाद उसे वैसा ही याद किया जाता है।