रतनपुर। 47 वर्षीय अजय तो नहीं रहे, लेकिन उनकी आंखों से दो दिव्यांग को नया सवेरा देखने को मिल सकेगा। निधन के बाद समाजसेवी पिता सीताराम चंदेल की पहल पर परिजनों की सहमति से नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी करवाई गई। इलाज में पूरा ध्यान दे रहा था परिवार। छोटे भाई डॉक्टर विजय चंदेल और बहू चूंकि स्वयं चिकित्सक है इसलिए निरंतर उपचार होता रहा। तीन दिन पहले हालत गंभीर होने पर उन्हें बिलासपुर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
जहाँ हालत में सुधार नहीं होने पर अजय को तड़के घर लाया गया। अथक प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।पिता की पहल पर परिवार की सहमतिबेटे के निधन के बाद सीताराम चंदेल ने बड़े बेटे संजय. डॉ. विजय व जय के साथ परिवार के सामने नेत्रदान का प्रस्ताव रखा। परिवार ने भी सोच-विचार के बाद अपनी सहमति दे दी। बताते चलें कि दिवंगत अजय के पिता व बड़े भाई संजय की पहचान समाजसेवी के रूप में होती है।होगी रोशन, दो की दुनियापरिजनों की सूचना पर छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर से नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम पहुंची।
जिसने सुरक्षित रूप से अजय की दोनों आंखों की कार्निया निकाली और सिम्स बिलासपुर लेकर गए। चंदेल परिवार की सार्थक और सराहनीय पहल के बाद दो नेत्र से दिव्यांग अब अजय की आंखों से नया सवेरा देख सकेगें।सिम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया स्वास्थ आंख जिसमें कोई भी क्रोमिक डिसिज न हो उसे नेत्रदान के लिए स्वीकार किया जाता है. कोई भी व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है.
ऐसा व्यक्ति जिसकी कार्निया खराब है. जो देख पाने में पूरी तरह नाकाम है, की आंखों में नेत्रदान से मिले कार्निया को ट्रांसप्लांट कर उसकी दुनिया को रोशन कर दिया जाता है. ये अच्छा काम है इसे सभी को करना चाहिए. एक व्यक्ति की पहल दो लोगों की दुनिया को कर सकता है रोशन.