जब कभी कभी कहीं सुनी बातों पर विश्वास करके हम रिश्तों मे किसी पर शक करने लग जाते हैं और उनके बारे मे तरह तरह की बातें इमेज़ीन करने लग जाते हैं। और यह भ्रम ही रिश्तों मे कड़वाहट लाता है। रिश्ते मधुर तब बनते हैं ज़ब मन मे सामने वाले के प्रति शुभकामनायें शुभभावनायें हों वहीं अगर हमारे मन मे किसी के प्रति नेगेटिव भाव है तो उस व्यक्ति से मधुर संबंध नहीं बन सकता। ऊपरी दिखावे के लिए मधुर संबंध और अंतर्मन मे किसी के प्रति जहर रखने से ताल्लुकात मधुर नहीं बनते है।
अगर हमारे अंतर्मन मे किसी के प्रति प्रेम भाव हो तो वह प्रेम भाव हमारे वाणी से हमारे बॉडी लेंग्वेज से हमारी वृत्ति से महसूस होता है। यहां तककि जानवर भी प्रेम और घृणा भाव को महसूस करते हैं। तो इंसान की तो बात ही निराली है। अंदर मन मे कुछ ऊपर जुबान मे कुछ रहने से सफाई सच्चाई की कमी की वजह से रिश्ते कमजोर होते हैं। वहीं मन मे जितनी सफाई सच्चाई होंगी रिश्ते उतने मजबूत होंगे।
अगर हमें किसी पर शक करेंगे तो हमारा मन उनकी कमी कमजोरियां ही ढूंढता रहेगा।कमी कमजोरियां किस इंसान मे नहीं बल्कि विश्व के प्रत्येक प्राणी मे होती है।
जिस तरह ज़ब एक प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे से प्रेम करते हैं तब एक दूसरे की खूबियां एक दूसरे से सांझा करते हैं जिससे उनका आपसी प्रेम और बढ़ता जाता है। वहीं ज़ब उनका विवाह हो जाता है तो ज्यादातर देखा जाता है की वह दोनों एक दूसरे की कमी कमजोरी खोजने लगते हैं।