
खंडवा :- ओंकारेश्वर में परिक्रमा पथ पर लेटे हुए हनुमान की मूर्ति पौराणिक मान्यताओं के साथ ही आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि धरातल से करीब सात फीट नीचे स्थित 20 फीट की इस मूर्ति के बाएं पैर के नीचे पाताल की देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ है। वहीं दाएं कंधे पर रामजी और लक्ष्मण तथा बाएं कंधे पर गदा शोभित है। कहते है कि जब अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण का हरण कर उन्हें पाताल लोक ले गया था तब हनुमान ने अहिरावण से उन्हें मुक्त करवाया था। लौटते समय ओंकार पर्वत पर विश्राम के लिए लेट गए थे। इसी चलते यहां लेटे हनुमान का मंदिर बनाया गया है। यह करीब 600 साल पुराना है। हनुमान जन्मोत्सव पर गुरुवार को दर्शन के लिए बडी संख्या में भक्त पहुंचेंगे।
लेटे हनुमान मंदिर को पाताल हनुमान मंदिर भी कहा जाता है। ओंकार पर्वत पर यह गौरी सोमनाथ मंदिर के पास में स्थित है। यहां स्थित हनुमान की मूर्ति अनोखी है। हनुमान विश्राम की अवस्था में यहां विराजित है। पास में एक विशाल गदा भी रखी हुई है। यह विचित्र दक्षिण मुखी मूर्ति को लेकर मान्यता है कि नर्मदा परिक्रमा करने वालों की यहां दर्शन के बगैर यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है। वैसे देश में लेटे हनुमान की इतनी बड़ी मूर्ति ओंकारेश्वर के अलावा उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में भी है।
ओंकारेश्वर स्थित लेटे हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव पर पूजन-अभिषेक और प्रसादी वितरण का आयोजन होगा। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। मंदिर का संचालन करने वाली बस्तर बाई का कहना है कि भगवान हनुमान के सिर की ओर भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए सिक्का चिपकाते हैं।