नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री ने आज ही के दिन साल 1969 में पहली बार देश के 14 मुख्य बैंकों का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation of Banks) किया था। 11 साल के बाद यानी 1980 में एक बार फिर से 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था।Close Playerआज हम बैंकों के राष्ट्रीयकरण की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आज इस ऐतिहासिक कदम के 54 साल पूरे हो चुके हैं और 55वां वर्ष शुरू हो चुका है। आज ही के दिन यानी 19 जुलाई 1969 में पहली बार राष्ट्रीयकरण का काम किया गया था।
बैंको के राष्ट्रीयकरण का क्या मतलब?पहले आप यह समझिए कि बैंको के राष्ट्रीयकरण का क्या मतलब है। बैंकों का राष्ट्रीयकरण का मतलब निजी क्षेत्र के स्वामित्व वाले बैंक को सरकार द्वारा बहुमत हिस्सेदारी (यानी 50 प्रतिशत से अधिक) खरीदकर राष्ट्रीय सरकार के सार्वजनिक स्वामित्व में लेने का एक कार्य है।आखिर क्यों हुआ बैंकों का राष्ट्रीयकरण?15 अगस्त 1947 को मिली आजादी के बाद देश में मौजूद बैंकों और उद्योगपतियों के बीच कुछ न कुछ संबंध हुआ करता था जिसकी वजह से देश के सामान्य व्यक्ति को बैंक से उचित सेवाएं नहीं मिल पाती थी।
अधिकांश बैंक शाखाएं महानगरीय क्षेत्रों या शहरों में केंद्रित थीं। किसानों और गरीबों तक बैंक की पहुंच नहीं थी। इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए आजादी के दो साल बाद यानी 1949 में भारतीय रिजर्व बैंक के राष्ट्रीयकरण का मुद्दा उठा जो 1949 में पूरा भी हो गया।इसके बाद वर्ष 1955 में इम्पीरियल बैंक, जो वर्तमान में देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक है, ये बना। कहा जाता है कि 1947 और 1955 के बीच, 360 छोटे बैंक डूब गए और लोगों की करोड़ों रुपये की जमा राशि नष्ट हो गई।
इस बीच, कुछ बैंकों ने काले बाजार और जमाखोरी के सौदों में निवेश किया। इस कारण सरकार ने इन्हें अपने नियंत्रण में लेकर सामाजिक विकास के कार्य में शामिल करने का निर्णय लिया।राष्ट्रीयकरण से क्या हुआ फायदा?बैंकों के राष्ट्रीयकरण से बैंक ने देश के गरीबों को स्वीकार करना शुरू कर दिया। पहले सिर्फ शहरों में मौजूद बैंक अब गांवों और कस्बों तक पहुंच गए। राष्ट्रीयकरण का फायदा यह हुआ है बैंको की ब्रांचों में वृद्धि देखी गई। आंकड़ो की माने तो जुलाई 1969 को देश में बैंकों की सिर्फ 8,322 शाखाएं थीं जो अब बढ़कर 85 हजार को पार हो गई है।राष्ट्रीयकरण के बाद अब किसानों को आसानी से बैंकों से लोन मिलने लगा। इतना ही नहीं राष्ट्रीयकरण के बाद बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र, सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों, एसएमई और स्वरोजगार को प्रोत्साहित किया गया।
सामान्य लोगों के बच्चों को शिक्षा लोन मिलना शुरू हुआ। इस निर्णय ने देश के आर्थिक विकास और अरबों भारतीयों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने में योगदान दिया। इसके अलावा सरकारी बैंक सरकार के द्वारा लाई गई विभिन्न योजनाओं को जल्द से जल्द लागू करते हैं।अब मंडरा रहा है खतरालेकिन अब सरकारी बैंकों और उनके कर्मचारियों की स्थिति अच्छी नहीं है।
