काठमांडू: नेपाल के जनकपुर शहर में स्थित राजदेवी मंदिर में दशईं उत्सव के आठवें व नौवें दिन नेपाल और भारत के हजारों लोगों ने 15 हजार से ज्यादा बकरों की बलि दी। मंदिर के पदाधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। दशईं 10 दिवसीय उत्सव है, जिसे पूरे नेपाल में देवी दुर्गा की अराधना के लिए मनाया जाता है और विजय दशमी इस उत्सव का अंतिम दिन होता है। उत्सव का आठवां और नौवां दिन अष्टमी और नवमी के रूप में मनाया जाता है तथा दोनों ही दिन एक समान माने जाते हैं।
दोनों दिन लोग पशु बलि देते हैं। भारत के कई राज्यों में इस तरह के रिवाजों पर प्रतिबंध के कारण बड़ी संख्या में भारतीय हिंदू बलि देने के लिए उत्सव के दौरान नेपाल स्थित मंदिर आते हैं। पूरे नेपाल में मंदिर मामलों का प्रबंधन करने वाले गुठी संस्थान के सूचना अधिकारी जनक पोखरेल ने कहा, ‘उत्सव के दौरान रविवार और सोमवार को अष्टमी और नवमी पर देवी के मंदिर में कुल-मिलाकर 15,251 बकरों की बलि दी गई।’
उन्होंने कहा कि जिन बकरों की बलि दी गई उनमें से 50 प्रतिशत बकरे भारतीय श्रद्धालु लेकर आए थे। पोखरेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘यह सदियों पुरानी परंपरा है और बलि के लिए लाए जाने वाले बकरों में से 50 प्रतिशत बकरे भारतीय श्रद्धालु अपने साथ लेकर आते हैं।’ उन्होंने बताया कि रविवार को रात आठ बजे बकरों की बलि शुरू हुई, जो सोमवार सुबह चार बजे तक चली।