शादी के बाद लड़कियों को अपना घर छोड़कर पति के घर जाना पड़ता है। ये परंपरा न जाने कबसे चली आ रही है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि शादी के बाद वह अपने माता-पिता या भाई-बहन से बिल्कल कट जाए। शादी के बाद लड़की की जिंदगी में कई बदलाव आते हैं। उसके आसपास चीजें पूरी तरह बदल जाती हैं। जिस घर में वो बचपन से पली-बढ़ी वो ही उसके लिए दूसरा घर बन जाता है। पापा की लाडली को अपने नखरे छोड़कर नए रिश्तों में तालमाल बिठाना होता है।
पूरी तरह से नए और अनजान लोगों के बीच आई लड़की को अक्सर ससुराल में अपने मायके की याद सताने लगती है। यही वजह है कि खासतौर पर शादी के शुरुआत में लड़की को बार-बार मायके जाने का मन करता है।
जिस घर में पैदा हुए हो, जहां बचपन बीता, जहां चलना-फिरना सीखा, जब शादी के बाद उस घर को छोड़ना पड़ता है तो दर्द तो होगा, उसकी याद तो आएगी। नए लोग, नई जिम्मेदारियों के बीच मायके की याद सताना नया नहीं है।
मायके में जहां खुश मिजाज-बिंदास और बेफिक्री की जिंदगी होती है, वहीं शादी के बाद तमाम जिम्मेदारियां कंधों पर आ जाती है। ऐसे में लड़कियों को अपने मायके की याद आने लगती है। कुछ नया हो तो मां की याद सताने लगती है। किसी ने कुछ कह दिया तो पापा को मिस करने लगती है।
शादी से पहले कद्दू की सब्जी प्लेट में देखकर मुंह बन जाता था, लेकिन शादी के बाद उस मां के हाथ के खाने की याद सताने लगती है। दरअसल जो लाड-प्यार मायके में मिलता है, जो नखरे मायके में चल जाते हैं, ससुराल में कोई उसे पूछता नहीं।
मायके में एक बार खाने से मना कर दो तो पूरा घर पीछे पड़ जाता है। मां पसंद की कचौड़ियां बनाने लगती है, लेकिन ससुराल में उससे पूछने वाला कोई नहीं है कि उसने अभी तक खाना खाया या नहीं। कोई उससे यह पूछने वाला नहीं कि खाने में क्या खाना चाहती है।
वो ससुराल में न केवल अपनों के लिए काफी समझौते करती है बल्कि अब उसके नखरे उठाने वाला भी कोई नहीं है। ऐसे में लड़कियां अपने मायके को बहुत मिस करती हैं।
शादी से पहले अगर फटी जींस पर पापा टोक देते थे तो लड़कियां मां से शिकायत करने पहुंच जाती थीं। मां के साथ मिलकर फटी जींस को नया फैशन ट्रेंड बना दिया जाता था, लेकिन शादी के बाद स्थिति बहुत अलग हो जाती है।
लड़कियों को वही कपड़े पहनने पड़ते हैं, जो ससुराल वालों को पसंद हों। इस मामले में लड़की की आजादी लगभग खत्म सी हो जाती है। जिस बिदांस अंदाज में वो पहले जिंदगी जी रही थी, वैसा अब नहीं हो पाता। ये वजहें हैं, जिसकी वजह से लड़कियों को ससुराल में बार-बार मायके की याद सताती है।
भले ही ज्वाइंट फैमिली हो या अकेले पति के साथ रह रही हो, शादी के बाद अचानक लड़कियों के कंधों पर घर की एक के बाद एक कई जिम्मेदारियां आ जाती हैं।
सुबह के नाश्ते से लेकर रात में किचन समेटने तक उसे खुद के लिए टाइम ही नहीं मिल पाता। ऐसे में उसे अपने मायके में बिताए गए प्यार और फुर्सत के पलों की याद सताने लगती है।
भले ही ससुराल वाले ये दावा करें कि वो बहू को बेटी मानते हैं, लेकिन हकीकत यही है कि ससुराल और मायके में जमीन आसमान का फर्क होता है। जो हक लड़कियां अपने मां पर जता पाती है, सास पर नहीं रख पाती है।
मायके में जब कभी मां पर गुस्सा आता तो वो बिना झिझक के उनके सामने अपनी राय रख देती थी, लेकिन ससुराल में हर बात उसे सोच-समझकर करनी पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक सवाल के जवाब में उन्हें अलग से चार बातें और सुनने को मिल जाती हैं।
मायके में भले ही कभी एक ग्लास पानी खुद से न लिया हो, भले ही कभी किचन की ओर मुंह न किया हो, लेकिन ससुराल में हर काम में परफेक्ट होने का प्रेशर लड़कियों पर होता है। ससुराल वालों को यही उम्मीद होती है कि उनकी बहू हर काम में एकदम परफेक्ट हो।
