नई दिल्ली : हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है। देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि साल में पड़ने वाली 12 शिवरात्रियों में से सबसे महत्वपूर्ण महाशिवरात्रि मानी जाती है। जानें साल 2024 में कब पड़ रही है महाशिवरात्रि।
महाशिवरात्रि 2024 तिथि
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ- 08 मार्च को रात 09 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी।
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि का समापन- 9 मार्च को शाम 06 बजकर 17 मिनट तक
तिथि- 8 मार्च 2024
महाशिवरात्रि 2024 पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि की निशिता पूजा का मुहूर्त- देर रात 12 बजकर 07 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 56 मिनट तक
निशिता काल पूजा समय: 09 मार्च को सुबह 12 बजकर 12 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय: शाम 06 बजकर 29 मिनट से रात 09 बजकर 33 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: 8 मार्च को सुबह 09 बजकर 33 मिनट से 9 मार्च सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय: 09 मार्च को सुबह 12 बजकर 37 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय: 09 मार्च को सुबह 03 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक
महाशिवरात्रि 2024 शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन सुबह से ही सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सुबह 6 बजकर 45 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इसके अलावा सुबह 4 बजकर 45 मिनट से लेकर 9 मार्च को सुबह 12 बजकर 45 मिनट तक शिव योग रहेगा।
महाशिवरात्रि 2024 पारण का समय
महाशिवरात्रि पारण समय 09 मार्च को सुबह 06 बजकर 44 मिनट से 6 बजकर 18 मिनट तक
महाशिवरात्रि 2024 महत्व
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ जलाभिषेक करने से व्यक्ति को हर समस्या से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो जाती है। इसके साथ ही हर इच्छा पूरी हो जाती है।
महाशिवरात्रि के मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ..
ध्यान मंत्र
ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं.
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम..
पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं.
विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्..
रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा.
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते..
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्..
