नई दिल्ली :- राजनीतिक दलों में प्रचार को लेकर भागमभाग की स्थिति बनी हुई है। वहीं इसबार चुनाव में अपनी साख को बचाने की बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। इस बार के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता यह गौर करेंगे कि आखिरकार किस वार्ड या बूथ स्तर पर कितने मत पड़ेंगे।इसके आधार पर छोटे राजनीतिक नेताओं का भविष्य भी तय होगा। अगामी निगम चुनाव में भी टिकट के दावेदारों की पहचान भी लोकसभा चुनाव में पड़ने वाले वोट से होगी। जिस विधायक या फिर निगम टिकट दावेदार के यहां से वोट कम पड़ेंगे, उनके लिए पार्टी कुछ अलग सोच सकती है।
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद इस बार लोकसभा चुनाव सबसे दिलचस्प होने वाले है। इस चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, भाजपा, शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस पार्टी अलग अलग चुनाव मैदान में उतर रही है। पार्टी के उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी वर्कर से लेकर जिलास्तर के नेताओं पर रहेगी। इसलिए यह चुनाव उनकी साख की कसौटी की पहचान करने में भी सहायक साबित होगा।
लोकसभा चुनाव राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए किसी परीक्षा से नहीं होंगे कम, यहीं से तय होगा किसी भी नेता का भविष्य
लोकसभा चुनाव को लेकर जहां सभी राजनीतिक दलों में प्रचार को लेकर भागमभाग की स्थिति बनी हुई है। वहीं इसबार चुनाव में अपनी साख को बचाने की बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। इस बार के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता यह गौर करेंगे कि आखिरकार किस वार्ड या बूथ स्तर पर कितने मत पड़ेंगे।इसके आधार पर छोटे राजनीतिक नेताओं का भविष्य भी तय होगा। अगामी निगम चुनाव में भी टिकट के दावेदारों की पहचान भी लोकसभा चुनाव में पड़ने वाले वोट से होगी। जिस विधायक या फिर निगम टिकट दावेदार के यहां से वोट कम पड़ेंगे, उनके लिए पार्टी कुछ अलग सोच सकती है।
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद इस बार लोकसभा चुनाव सबसे दिलचस्प होने वाले है। इस चुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, भाजपा, शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस पार्टी अलग अलग चुनाव मैदान में उतर रही है। पार्टी के उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी वर्कर से लेकर जिलास्तर के नेताओं पर रहेगी। इसलिए यह चुनाव उनकी साख की कसौटी की पहचान करने में भी सहायक साबित होगा।
सरकार ने जिला लुधियाना से किसी विधायक को मंत्री पद भी नहीं दिया है। हालांकि अभी तक पार्टी ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। लेकिन प्रत्याशी की घोषणा के बाद सभी विधायकों के जिम्मे प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करना होगा। जिस विधायक के एरिया से वोट बैंक कम होता है, उसके लिए पार्टी में मुश्किलें खड़ी हो सकती है। ऐसे में विधायकों के लिए बाजी लगाना जरूरी रहेगा। यही हालात अन्य राजनीतिक दलों में भी होगा।
पार्षद टिकट के दावेदारों की होगी परीक्षानगर निगम के चुनाव का बीते एक साल से इंतजार चल रहा है। निगम चुनाव के लिए टिकट के चाह्वान बीते एक साल से मेहनत कर रहे है। सबसे ज्यादा होड़ सत्ताधारी पार्टी की टिकट पाने वालों में लगी है। लगभग सभी वार्ड में सत्ताधारी टिकट पाने वाले अपने काम में एक साल से जुटे हुए है।
अब लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी असली परीक्षा होगी। लोकसभा चुनाव के बाद वार्ड स्तर पर प्रत्याशी के पक्ष में हुए मतदान के आधार पर प्रत्याशियों का चयन होगा। एेसे में लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट के हर चाह्वान को अपनी साख का प्रदर्शन करना होगा।
