नई दिल्ली:- बहुत से लोग खाने में तीखा स्वाद ज्यादा पसंद करते हैं, जो मिर्च से आता है. सभी जानते हैं की मिर्च कई प्रकार की होती हैं तथा उनका उपयोग भी अलग-अलग तरह से किया जाता है. जैसे दालों या सब्जियों में, तड़के में, लोग ज्यादातर लाल मिर्च का उपयोग करते हैं और हरी मिर्च का उपयोग सलाद में या चटनी में किया जाता है. इसके अलावा काली मिर्च तथा सफेद गोल मिर्च का भी अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है.
आयुर्वेद में मिर्च के बहुत से फायदे बताए जाते हैं जो पाचन तंत्र, पोषण तथा कई अन्य तरह से स्वास्थ्य लाभ से जुड़े होते हैं. लेकिन जानकार हमेशा आहार में मिर्च की मात्रा का ध्यान रखने की सलाह भी देते है. दरअसल भोजन या किसी भी रूप में मिर्च का जरूरत से ज्यादा सेवन या रोजाना ज्यादा तीखा खाने की आदत सिर्फ पाचन तंत्र या पेट में समस्या ही नहीं बल्कि कई अन्य कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं व रोगों का कारण भी बन सकता है.
संयमित मात्रा में खाने पर फायदेमंद
नई दिल्ली की आहार व पोषण विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि मिर्च में कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जैसे प्रोटीन, फाइबर, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस, जिंक, कॉपर, मैंगनीज, सेलेनियम और कई अन्य विटामिन आदि. वहीं उसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी माइक्रोबियल गुण भी पाए जाते हैं इसलिए कई तरह की चिकित्सा विधाओं में औषधियों में अलग-अलग प्रकार की मिर्च का उपयोग भी किया जाता है.
वह बताती हैं कि बेहद संतुलित मात्रा में नियमित आहार में अलग-अलग प्रकार की मिर्च को शामिल करने से भूख ज्यादा लगने, पाचन प्रक्रिया के बेहतर होने, पेशाब के अच्छी मात्रा में बनने जैसे कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं,लेकिन यदि आहार में मिर्च की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगे तो पाचन संबंधी समस्याओं के साथ कई अन्य प्रकार की शारीरिक समस्याओं व परेशानियों के होने का जोखिम भी बढ़ जाता है.
जरूरत से ज्यादा मिर्च के सेवन का नुकसान
वह बताती हैं कि अधिक मात्रा में किसी भी प्रकार की मिर्च खाने से पेट की गर्मी बढ़ती है. जिससे पेट में विशेषकर पाचन तंत्र से जुड़े अंगों में सूजन तथा अन्य समस्याएं हो सकती है. ऐसे में आहार में पाचन में समस्या तथा गैस्ट्रिक समस्याओं जैसे गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज, एसिडिटी तथा पेट में संक्रमण सहित कई समस्याओं के होने की आशंका भी बढ़ जाती हैं. जो पेट दर्द, पेट में जलन, कब्ज, दस्त, मितली, उल्टी और कई बार सिर में दर्द व सीने में जलन का कारण भी बन जाती है.. वहीं कई बार बहुत ज्यादा मात्रा में तथा नियमित रूप से ज्यादा तीखा खाना पेट में अल्सर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है. जोकि एक गंभीर समस्या होती है तथा पीड़ित के लिए कई बार जानलेवा अवस्था का कारण भी बन सकती है.
जरूरत से ज्यादा मात्रा में मिर्च मसालेदार आहार खाने से पेट या पाचन तंत्र में समस्या के अलावा और भी कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ सकती है.
खराब नींद आने या नींद ना आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
ज्यादा तीखा खाना मुंह और गले में छालों का कारण बन सकता है.
ज्यादा मिर्च खाने से बवासीर की समस्या हो सकती है.
ज्यादा तीखा खाना उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है. जो हृदय रोगों और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है.
ज्यादा मिर्च युक्त या तीखा खाने से लिवर व किडनी में सूजन, जलन व अन्य समस्याएं हो सकती है.
ज्यादा मात्रा में लाल मिर्च खाने से श्वास संबंधी समस्याओं विशेषकर अस्थमा पीड़ितों की समस्याएं ज्यादा बढ़ सकती है.
व्यवहार में गुस्सा व चिड़चिड़ापन तथा तनाव बढ़ सकता है.
कैसे बचें दुष्प्रभावों से
डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि तीखा आहार पसंद करना गलत नहीं है, लेकिन तमाम तरह की परेशानियों से बचने के लिए आहार में उसकी मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. इसके अलावा जो लोग बहुत ज्यादा तीखा पसंद करते भी है वो कभी-कभी ज्यादा तीखा खा सकते हैं लेकिन उसे अपनी रोजाना की आहार दिनचर्या का हिस्सा ना बनाए.
वहीं बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं को तथा ऐसे लोगों को जो किसी गंभीर रोग का सामना कर रहे हैं या इसके इलाज के लिए कोई दवा या थेरेपी ले रहे हैं विशेष तौर पर ज्यादा तीखा खाने से परहेज करना चाहिए.
इसके अलावा पेट में लगातार गैस-एसिडिटी-दर्द के साथ सिर में दर्द, सीने में जलन, मल या मूत्र से जुड़ी समस्याओं तथा रक्तचाप व ह्रदयगति बढ़ने जैसा महसूस होने पर पीड़ित को तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.