नई दिल्ली:– जापान में इन दिनों एक खतरनाक संक्रमण फैल रहा है। इसका नाम स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम है। इसे ‘मांस खाने वाला बैक्टीरिया’ भी कहा जाता है क्योंकि यह मसल्स टिश्यू में घुसकर इन्हें खाना शुरू कर देता है। सबसे खतरनाक बात यह है कि इससे सिर्फ 48 घंटे में इंसान की मौत हो सकती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फेक्शस डिजीज के अनुसार, जापान में इस जानलेवा वायरस के मामले एक हजार के करीब पहुंच गए हैं और अब तक 77 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले साल संक्रमण के करीब 900 मामले देखे गए थे। यह संक्रमण किसी को भी प्रभावित कर सकता है। इस संक्रमण की वजह से जापान सहित पूरी दुनिया में दहशत पैदा कर दी है।
STSS क्या है? एसटीएसएस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है यह आमतौर पर स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया के कारण होता है, लेकिन ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया भी इसे फैला सकते हैं। माना जाता है कि ये बैक्टीरिया शरीर में जहरीले पदार्थ छोड़ते हैं, जो गंभीर सूजन, टिश्यू को डैमेज करना और और असहनीय दर्द पैदा कर सकते हैं।
इस संक्रमण को जानलेवा माना जाता है क्योंकि इससे गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। CDC के अनुसार, एसटीएसएस शरीर को बर्बाद कर सकता है, जिससे सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। संक्रमित ऊतक या अंग को निकालना पड़ सकता है। इलाज के बाद भी ये स्थिति जानलेवा हो सकती है। सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक, एसटीएसएस से पीड़ित 10 लोगों में से 3 लोगों की मौत हो जाती है।
एसटीएसएस ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस के बैक्टीरिया कई तरीकों से शरीर में घुस सकते हैं। अगर त्वचा में किसी तरह का कट, घाव, सर्जिकल घाव या कोई अन्य चोट है। यह बैक्टीरिया गला, नाक और या योनि मार्ग के जरिये भी प्रवेश कर सकता है। एसटीएसएस के लक्षण तेजी से महसूस होने लगते हैं। यह कुछ ही घंटों या दिनों के अंदर बढ़ जाते हैं। शुरुआत में आपको कुछ हल्के लक्षण महसूस हो सकते हैं जिन्हें पहचानना मुश्किल हो सकता है।
तेज बुखार होना एसटीएसएस का मुख्य लक्षण है। इसके साथ ठंड लगना और बहुत पसीना आना भी हो सकता है। ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, जिससे चक्कर आना और बेहोशी हो सकती है। ये लो ब्लड प्रेशर तेजी से शॉक में बदल सकता है।
संक्रमित व्यक्ति को मिचली आना और उल्टी होना, दस्त, जो पानीदार या खूनी हो सकता है। पेट में तेज दर्द हो सकता है। इसके अलावा मांसपेशियों में दर्द और पूरे शरीर में तेज दर्द हो सकता है। ये दर्द मांसपेशियों में खिंचाव जैसा महसूस हो सकता है।
जैसे-जैसे एसटीएसएस बढ़ता है, वैसे-वैसे लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं और पूरे शरीर को प्रभावित करते हैं। इससे धड़ और हाथ-पैरों पर सनबर्न जैसा लाल चकत्ते दिखाई दे सकते हैं। ये लाल चकत्ते पूरे शरीर में फैल सकते हैं और कुछ दिनों बाद छिल भी सकते हैं।
इससे किडनी डैमेज हो सकती है जिससे पेशाब कम आना या किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती हैं। लीवर खराब होने पर पीलिया के लक्षण महसूस हो सकते हैं। फेफड़े प्रभावित होने पर सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और मशीन की मदद से सांस लेने की जरूरत पड़ सकती है।
यह संक्रमण दिल पर भी अटैक कर सकता है जिससे दिल से जुड़ी समस्याएं जैसे अनियमित दिल की धड़कन और हार्ट फेलियर हो सकता है। दिमाग तक कम खून पहुंचने या सीधे टॉक्सिन के असर से भ्रम, दिशा भूल जाना और उन्माद जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
एसटीएसएस की जांच का कोई विशेष तरीका नहीं है, लेकिन डॉक्टर ग्रुप ए स्ट्रेप संक्रमण की जांच के लिए आपका ब्लड टेस्ट कर सकते हैं। अगर आपको ग्रुप ए स्ट्रेप संक्रमण है, साथ ही आपका ब्लड प्रेशर कम है या एक या एक से ज्यादा अंगों में समस्या है तो डॉक्टर इस संक्रमण की पुष्टि कर सकते हैं। एसटीएसएस के इलाज के लिए डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं। मरीजों को अक्सर नसों के रास्ते तरल पदार्थ भी दिए जाते हैं। सदमे और अंगों को काम करने में मदद के लिए भी अन्य इलाज किए जा सकते हैं। कुछ मरीजों को संक्रमित ऊतक को निकालने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।