नई दिल्ली:- शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाएं या नहीं, सोमवार का दिन देवों के देव महादेव की पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. सोमवार को भगवान शिव और शिवलिंग की पूजा करने से उनके भक्तों को शुभ आशीर्वाद मिलता है. पूजा के दौरान भोलेनाथ को उनकी पसंद का भोग भी लगाया जाता है. कई लोग शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं? इस बारे में धार्मिक ग्रंथ क्या कहते हैं, जानिए साथ ही भगवान शिव और शिवलिंग के बारे में भी जानें.
भगवान शिव और शिवलिंग की पूजा विधि अलग-अलग है
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान शिव की मूर्ति और शिवलिंग की पूजा के नियम अलग-अलग हैं. दोनों की पूजा कभी भी एक ही विधि से नहीं करनी चाहिए. यहां तक कि भगवान शिव और शिवलिंग को भोग लगाने के नियम भी अलग-अलग बताए गए हैं.
प्रसाद के रूप में बांटा जाता है भोग
अक्सर आपने दूसरे देवी-देवताओं के मंदिरों में देखा होगा कि पूजा के दौरान भगवान को जो भोग लगाया जाता है. वह भोग अंत में प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है. लेकिन शिवलिंग पर चढ़ाए गए भोग को प्रसाद के रूप में नहीं खाने की सलाह दी जाती है. इस भोग को भूलकर भी ग्रहण नहीं करना चाहिए.
शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद क्यों नहीं खाते?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भूत-प्रेतों के प्रमुख चंडेश्वर महादेव के मुख से प्रकट हुए थे. ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया भोग चंडेश्वर का ही अंश है. यही कारण है कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना वर्जित है.
आप इस प्रसाद को ग्रहण कर सकते हैं
अगर आपने धातु या पारे से बने शिवलिंग पर भोग चढ़ाया है तो उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जा सकता है.
इस भोग का क्या करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग पर चढ़ाया गया भोग नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.
भगवान शिव के प्रसाद का क्या करें
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की मूर्ति पर चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जा सकता है. ऐसा करने से प्रसाद ग्रहण करने वाले भक्तों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
