मध्यप्रदेश:– रीवा शहर अपने सुपारी आर्ट के लिए जाना जाता है. यहां सुपारी से कई तरह के खिलौने बनाए जाते हैं. पारंपरिक रूप से खान-पान और पूजा-पाठ में काम आने वाली सुपारी से खिलौने बनाने की बात आपको भले हैरत में डालेगी, लेकिन रीवा के कारीगर इसके मंझे कलाकार हैं. रीवा शहर में कुंदेर परिवार के कुछ लोग सुपारियों से खिलौने बनाने की कला में इतने दक्ष हैं कि इनकी कारीगरी देख आप दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे.
सुपारियों से बने सुंदर और मनमोहक खिलौने देखकर देशी-विदेशी पर्यटक आश्चर्यचकित रह जाते हैं. छोटी सी सुपारी को छील-छील कर टेबल लैंप या ताजमहल या देवी-देवताओं की प्रतिमा बना देना इनके बाएं हाथ का खेल है. सुपारी के ऊपर की जाने वाली यह हस्तकला कुंदेर परिवार को विरासत में मिली है. पुश्त दर पुश्त यह और विकसित होती गई. परिवार के लोग बताते हैं कि पहले सुपारी से बनी खास चीजें राजपरिवारों के लिए होती थीं. लेकिन बाद में इसके खिलौने बनाए जाने लगे. अब तो उनके काम की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल चुकी है.
सिंदूर की डिबिया और 50 रुपए का इनाम
सुपारी कला से जुड़े कुंदेर परिवार के सदस्य दुर्गेश कुंदेर ने लोकल18 को इस कला के इतिहास के बारे में बताया. साल 1932 में रामसिया कुंदेर ने पहली बार छोटी सी सुपारी से सिंदूर की डिब्बी बनाई. खूबसूरत सी डिबिया उन्होंने तत्कालनी रीवा रियासत के महाराजा गुलाब सिंह के दरबार में पान और सुपारी के साथ पेश की. यह डिबिया महाराजा को इतनी पसंद आई कि उन्होंने रामसिया कुंदेर को इसके लिए 50 रुपए का इनाम दिया. रीवा में सुपारी कला की शुरुआत की यह बानगी थी, जिसके बाद कुंदेर परिवार ने इसे और आगे बढ़ाना शुरू किया.
अब गणेश प्रतिमा सबसे अधिक लोकप्रिय
आजकल सुपारी से कई तरह की चीजें बनाई जा रही हैं. परिवार के सदस्यों ने जानकारी दी कि पहले सुपारी की स्टिक, मंदिर सेट, कंगारू सेट, टी-सेट, महिलाओं के गहने, लैंप आदि पर अधिक फोकस रहता था. लेकिन इन दिनों गणेश प्रतिमा सबसे अधिक लोकप्रिय हो रही है. दुर्गेश कुंदेर ने लोकल18 को बताया कि सुपारी से बनी देवी लक्ष्मी की मूर्ति लोग गिफ्ट करने के लिए ही नहीं, बल्कि अपने घरों में रखने के लिए ले जाते हैं. इसके अलावा गिफ्ट के लिए गणेश प्रतिमा ही सबसे अधिक खरीदी जा रही है