: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को सेना ने अपने पद से इस्तीफा देने और बांग्लादेश छोड़ने के लिए महज 45 मिनट का वक्त दिया था. इस दौरान प्रदर्शनकारी शेख हसीना के आवास में घुस गए थे और हिंसक प्रदर्शन कर रहे थे. ये पहली बार नहीं है जब शेख हसीना अपनी जान बचाने में कामयाब रही हैं बल्कि इससे पहले भी ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं. एक बार तो शेख हसीना पर ग्रेनेड से हमला कर दिया गया था, जिसमें उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई थी.
शेख हसीना पर जब ग्रेनेड से हुआ हमलाशेख हसीना पहले भी कई हमले होने के बाद भी मौत को मात दे चुकी हैं. ऐसा ही एक हमला उनपर साल 2004 में हुआ था. जब ढाका में बंगबंधु एवेन्यू पर अवामी लीग के केंद्रीय कार्यालय के सामने वो एक रैली में जनता को संबोधित कर रही थीं. उस समय वहां ग्रेनेड हमला हुआ हुआ, इस हमले में 24 लोगों की मौत हो गई और 300 से अधिक घायल हो गए थे. इस हमले में शेख हसीना की हत्या की कोशिश थी, लेकिन हत्या के प्रयास में हसीना बाल-बाल बच गईं.
इससे पहले भी शेख हसीना को मारने की कोशिश कई बार की जा चुकी है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार दशकों में 19 बार शेख हसीना को मारने की कोशिश हुई है, जिसमें वो बार-बार मौत को मात देते हुए बच गईं. पहली बार में जब उनके परिवार की हत्या हुई, तब वो विदेश में पढ़ाई कर रही थीं, इसी के चलते उनकी जान बच गई. इसके बाद एक के बाद एक कभी रैलियों में तो कभी सभाओं में उनपर कई हमले हुए.
कैसे हुई पिता और भाईयों की हत्या?शेख हसीना की जिंदगी में साल 1975 किसी तूफान से कम नहीं था. इस साल बांग्लादेश की सेना ने बगावत कर दी थी और शेख हसीना के परिवार वालों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था. ऐसे में हथियारबंद लड़ाकों ने शेख हसीना की मां, उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान और तीन भाइयों को घर में घुसकर मौत के घाट उतार दिया. उस वक्त शेख हसीना अपने पति वाजिद मियां और छोटी बहन के साथ यूरोप में थीं. इसी के चलते उनकी जान बच गई. माता-पिता और तीन भाईयों की हत्या के बाद शेख हसीना कुछ समय जर्मनी में रहीं, फिर इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें भारत में शरण दी. इसके बाद वो अपनी बहन के साथ दिल्ली आ गईं और 6 सालों तक भारत में रहीं.