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    प्याज काटने, धुआ लगने,रोने या हंसने पर आंखों से क्यों निकल आते हैं आंसू, जानें इसके पीछे का ये साइंस…

    By Tv 36 HindustanOctober 30, 2024No Comments6 Mins Read
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    नई दिल्ली:- आंसू इंसान के जीवन में कई बार एक भाषा की तरह भी काम करते हैं. जब हम कुछ नहीं कह पाते तो हमारे आंसू खुद हकीकत बयां कर देते हैं. इस बात को पिता-पुत्र के प्रेम से भी समझा सकता है. कई बार जब किसी शो में कोई कंटेस्टेंट काफी अच्छा प्रदर्शन करता है, तो पिता अपने प्रेम को तब भी नहीं कह पाते हैं, लेकिन उनकी आंखों में आए आंसू सब बयां कर देते है. खैर अपनी खबर पर वापस आते हैं और इस रिपोर्ट में जानेंगे कि आखिर आंखो से आंसू क्यों आते हैं? इसका साइंस क्या है, साथ ही ये भी जानेंगे कि धुएं और प्याज काटने से भी आंसू क्यों आ जाते हैं?

    आंसुओं से आंखें हाइड्रेटेड रहती हैं
    वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो आंसू हमारी आंखों के स्वास्थ्य के लिए काफी जरूरी होते हैं और यह कई कारणों से आते हैं. सबसे पहले, आंसू आंखों को नमी देने का काम करते हैं, जो आंखों को स्वस्थ और कार्यशील बनाए रखने में सहायक होते हैं. आंखों में नमी बनाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी होता है कि थोड़ी मात्रा में आंसू हर दिन आंखों में उत्पन्न हों। ऐसे आंसू जो आंखों को नम रखते हैं, उन्हें बेसल आंसू कहा जाता है. ये आंसू आंखों की सतह को हाइड्रेटेड रखते हैं और आंखों को सूखने से बचाते हैं. ये आंसू सामान्यत: आंख से बाहर नहीं आते और अनजाने में ही आंखों में रहते हैं.

    आंखों से आंसू निकलने का साइंस
    आंसुओं के निकलने की प्रक्रिया के पीछे हमारी आंखों में मौजूद विशेष ग्रंथियां यानी स्पेशल ग्लांड्स होती हैं, जिन्हें ‘लैक्रिमल ग्लैंड’ कहा जाता है. ये ग्रंथियां ही आंखों में आंसुओं का निर्माण करती हैं. सामान्य रूप से, एक दिन में हमारी आंखों से आधी चम्मच से भी कम मात्रा में आंसू निकलना पर्याप्त होता है. आंसुओं में पानी के साथ-साथ नमक, तेल, म्यूकस, और कुछ रोगाणुनाशक रसायन भी होते हैं, जो आंखों को इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं. पलकों के झपकने से ये आंसू आंखों की सतह पर समान रूप से फैल जाते हैं.

    लेकिन जब कोई बाहरी तत्व आंखों में प्रवेश करता है, जैसे धूल, धुआं, या प्याज काटने के दौरान निकलने वाले केमिकल्स, तब आंखें इसे बाहर निकालने के लिए आंसू बनाती हैं. इन आंसुओं को रिफ्लेक्स आंसू कहा जाता है.

    हार्मोंस की भी होती है अहम भूमिका
    भावना पर नियंत्रण पाने के लिए हमारे शरीर के हार्मोंस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बाल्टीमोर की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट प्रोवाइन का कहना है कि हंसने और रोने के दौरान दिमाग का वही हिस्सा ज्यादा सक्रिय होता है. लगातार हंसने या रोने से दिमाग की कोशिकाओं पर अत्यधिक दबाव पड़ता है. इस स्थिति में शरीर में “कॉर्टिसोल” और “एड्रिनालाइन” नाम के तनाव हार्मोंस सक्रिय हो जाते हैं. ये हार्मोंस हंसने या रोने के दौरान शरीर में होने वाली असामान्य प्रतिक्रियाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं.

    इमोशनल आंसुओं का साइंस
    जब हम भावनात्मक रूप से प्रभावित होते हैं, तो आंसू भावनाओं से जुड़े होते हैं. हमारा दिमाग आंसुओं की उत्पत्ति के लिए सीधे लैक्रिमल ग्लैंड को संकेत भेजता है. जब कोई व्यक्ति अत्यधिक भावुक हो जाता है, तो दिमाग का वह हिस्सा जो हमारी भावनाओं को नियंत्रित करता है, वह आंसुओं की ग्रंथियों को सक्रिय करता है और तुरंत आंसुओं का बहना शुरू हो जाता है. इस स्थिति में कुछ ही मिनटों में आंखों से कई आंसू बह सकते हैं, जिसे ‘इमोशनल आंसू’ कहा जाता है.

    इमोशनल आंसू और रिफ्लेक्स आंसू दोनों अलग-अलग प्रकार के होते हैं. इमोशनल आंसू तब निकलते हैं, जब हम किसी गहरी भावना, जैसे दुख, खुशी, या डर का अनुभव करते हैं. वहीं रिफ्लेक्स आंसू आंख में धूल या प्याज के कारण बन जाते हैं. जब इमोशनल आंसू निकलते हैं, तो आंखों से अधिक मात्रा में आंसू बहने लगते हैं और कई बार यह आंसू नाक से भी पानी के रूप में बाहर आ जाते हैं.

    इससे यह भी सिद्ध होता है कि व्यक्ति की संवेदनशीलता और उसकी भावनात्मक स्थिति आंसुओं की मात्रा और उनकी गति को प्रभावित करती है. भावनात्मक रूप से संवेदनशील लोग अधिक आसानी से रोते हैं, जबकि कुछ लोग भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं, जिससे आंसुओं का प्रवाह रुक जाता है. यही कारण है कि बच्चे जल्दी रोते हैं और थोड़ी देर बाद चुप भी हो जाते हैं, क्योंकि उनकी भावनाएं बहुत जल्दी बदलती हैं.

    प्याज काटने पर आंसू क्यों आते हैं?
    प्याज काटने पर आंसू आने का मुख्य कारण उसमें मौजूद सल्फर कंपाउंड्स होते हैं. जब प्याज की परतें कटती हैं, तो प्याज के भीतर एक एंजाइम, एलिनेस, सक्रिय हो जाता है. यह एंजाइम सल्फर युक्त अमीनो एसिड के साथ मिलकर प्रोपेनथियल एस-ऑक्साइड नाम की एक गैस बना देता है. इसके बाद जब यह गैस हवा में फैलती है और आंखों में पहुंचती है, तो आंखों की सतह पर मौजूद नमी के साथ मिलकर हल्का एसिडिक पदार्थ बनाती है. इस कारण आंखों में जलन होने लगती है.

    आंखों की जलन से बचने के लिए शरीर स्वाभाविक रूप से आंसू बनाना शुरू कर देते हैं. ये आंसू आंखों को धोने और जलन को कम करने की कोशिश करते हैं. प्याज काटते समय आंसुओं को कम करने के लिए कुछ लोग पानी से प्याज धोने या चाकू को गीला करने जैसे उपाय अपनाते हैं, ताकि गैस की मात्रा कम हो और आंखों में जलन न हो.

    धुआं आंखों में क्यों लगता है?
    धुंआ आंखों में एक तरह की जलन पैदा करता है क्योंकि उसमें मौजूद छोटे-छोटे कण और रासायनिक यौगिक आंखों की सतह को उत्तेजित करते हैं. जब धुआं हवा में फैलता है, तो उसमें कार्बन, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ और भी कई हानिकारक केमिकल्स होते हैं. ये केमिकल्स आंखों की सतह पर मौजूद नमी के साथ मिलकर आंखों की झिल्लियों को परेशान करते हैं, जिससे जलन, खुजली और आंखों से आंसू आने की समस्या होने लगती है. इसके अलावा, धुएं में मौजूद गर्मी और सूक्ष्म कण भी आंखों के लिए नुकसानदायक होते हैं, जिससे आंखों में लाली और सूजन आ सकती है.

    धुआं आंखों में लगने पर शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है कि वह आंसू उत्पन्न करके इन कणों और केमिकल्स को बाहर निकालने का प्रयास करता है. आंसू आंखों की सुरक्षा के लिए उत्पन्न होते हैं, ताकि जलन कम हो और धुएं के हानिकारक तत्वों को आंखों से साफ किया जा सके. खासकर प्रदूषण, आग, सिगरेट का धुआं और जले हुए पदार्थों का धुआं आंखों के लिए विशेष रूप से हानिकारक होते हैं.

    साल में इतने आंसू बनाती हैं आंखें
    कई बार हम आंसुओं को अपनी कमजोरी मान लेते हैं, लेकिन सही तरीके से देखा जाए तो आंसू हमारी आंखों को बचाने के लिए उनको समय-समय पर हाइड्रेट करते रहते हैं. वहीं जब आंखों में कोई केमिकल्स जाता है तो तुरंत ग्लांड्स से आंसू बनकर उन्हें धुलने का काम करते हैं. इन सबसे ये तो पक्का हो गया कि आंसू लगातार आंखों की रक्षा करते हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो हमारी आंखे हर साल 15 से 30 गैलन आंसू बनाती हैं.

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