नई दिल्ली:– देसी गाय आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की प्रदेश सरकार की मंशा के सापेक्ष इस पर अमली जामा पहनाने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। नए साल में गंगा-गोमती के किनारे पांच किमी की परिधि के गांवों के किसानों का चयन पूरा हो चुका है। कई स्थानों पर काम युद्ध गति से जारी है। लखनऊ सहित प्रदेश के 49 गांवों का चयन किया गया है। 26 जिलों में केंद्र सरकार और 23 जिलों प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी।
60 गांवों को किया गया शामिल
लखनऊ के बख्शी का तालाब और मलिहाबाद ब्लॉक को प्राकृतिक खेती के लिए चुना गया है। दोनों ब्लॉकों को प्राकृतिक खेती के मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए गोमती के किनारे के 60 गांवों को शामिल किया गया है। किसानों के चयन के साथ ही एक हजार हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती को लेकर तैयारियां पूरी हो गई हैं। किसानों का समूह बनाकर 1,200 किसानों को इसमें शामिल किया गया है। सभी को प्रशिक्षण के साथ ही प्राकृतिक खेती के लाभों के बारे में बताया जाएगा।
बख्शी का तालाब स्थित डॉ. चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र सिंह ने बताया कि प्राकृतिक खेती शून्य लागत वाली खेती है, जिसकी खाद की फैक्ट्री देसी गाय और दिन-रात काम करने वाला मित्र केंचुआ है। उन्होंने प्राकृतिक खेती की विधि को विज्ञान आधारित है। इसका प्रयोग करने से रासायनिक तत्वों का खेत में उपयोग, मिट्टी की उर्वरा शक्ति को समाप्त कर देता है। जैविक खेती की उत्पादकता धीमी गति से बढ़ती है। आवश्यक खाद के लिए गोबर की बहुत अधिक मात्रा की जरूरत होती है। जैविक खेती में उत्पादन लेने में देरी भी होती है।