नई दिल्ली:– प्यार का इजहार करने का महीना फरवरी शुरू चुकी है। प्यार का दिन, यानी वैलेंटाइन डे हर साल 14 फरवरी को पूरे विश्व में हर्षोल्लास एवं अलग अंदाज और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। वैलेंटाइन डे वीक की शुरुआत 7 फरवरी यानी रोज डे से हो चुकी है।
वैलेंटाइन डे आते ही लोग चॉकलेट, रोज, ऑयस्टर और शैंपेन को ट्रेंड मान लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके आंगन में ही गुप्त प्रेम और औषधि के गुणों से भरपूर चीज छिपी हुई है। तुलसी का पौधा इटली में प्रेम के सबसे पुराने और सबसे बड़े प्रतीकों में से एक है, जिसका इस्तेमाल लोग सदियों पहले से करते आ रहे हैं। आइए जानते हैं तुलसी किस तरह प्रेम का प्रतीक है।
कब आई थी तुलसी भारत में जानिए
प्राप्त जानकारी के अनुसार, तुलसी के पौधे को भारत में 4,000 साल पहले लाया गया था। इसके बाद ये दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिम में मलेशिया के साथ फारस, मध्य पूर्व और यूरोप तक फैल गई।
भारत में, इसे एक पवित्र पौधे के रूप में पूजा जाता है। और आज भी पवित्र तुलसी या तुलसी कई अनुष्ठानों का एक अलग महत्व है। तुलसी का नाम ग्रीक बेसिलिकोस से आया है, जिसका अनुवाद ग्रीक दार्शनिक थियोफ्रेस्टस द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के लेखों के अनुसार राजा के योग्य जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है।
प्यार से जुड़ा है तुलसी का रिश्ता
प्राचीन रोम के लोग तुलसी को प्रेम की देवी वीनस के लिए पवित्र मानते थे, क्योंकि उनका मानना था कि तुलसी में रोमांटिक गुण होते हैं। प्रसिद्ध रोमन प्रकृतिवादी प्लिनी का मानना था कि तुलसी के बीजों में कामोद्दीपक गुण होते हैं। प्रेम और इच्छा के साथ इस जुड़ाव ने तुलसी को प्रेमियों के सच्चे प्रतीक के रूप में स्थापित करने में मदद की।
जानिए तुलसी की दिलचस्प बातें
तुलसी के रोमांस से जुड़े होने की शायद सबसे दिलचस्प कहानी बोकासियो के डेकैमेरॉन से आती है, जहां वह एलिसबेटा दा मेसिना की भयावह कहानी बताता है।
अपने भाइयों द्वारा अपने प्रिय लोरेंजो की हत्या के बाद, एलिसबेटा ने उसके सिर को एक बड़े तुलसी के जड़ों के नीचे दबा दिया और रोजाना अपने आंसुओं से पौधे को पानी देती रही। हालांकि यह निश्चित रूप से भयावह है, लेकिन इस मध्ययुगीन कहानी ने तुलसी को अमर प्रेम और भक्ति के प्रतीक के रूप में मशहूर किया।