बालोद :- छत्तीसगढ़ के बालोद जिला पंचायत का चुनाव तीन दिन बाद 20 फरवरी को होना है. जिला गठन के बाद प्रथम जिला पंचायत उपाध्यक्ष बनने वाले संजय चंद्राकर 5 सालों के अंतराल के बाद एक बार फिर जिला पंचायत चुनाव में उतरे हैं. वह अपनी पुरानी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
भाजपा कांग्रेस में सीधी टक्कर : विधानसभा टिकट की दावेदारी करने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय चंद्राकर इस बार जिला पंचायत के चुनाव में उतरे हैं. जो कि भाजपा के लिए काफी चैलेंजिंग माना जा रहा .है वहीं, शहरी निवासी तोमन साहू को भाजपा ने टिकट दिया है, जो नगर पालिका का पार्षद का चुनाव भी लगभग 10 साल पहले लड़ चुके हैं, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. अब देखना यह है कि ग्रामीण मतदाता किसे तवज्जो देती है.
बालोद जिला पंचायत का समीकरण : जिला पंचायत बालोद की अध्यक्ष सीट के लिए कांग्रेस नेता संजय चंद्राकर के चुनाव में उतरने से यह वीआईपी सीट मानी जा रही है. इससे पहले संजय चंद्राकर पहले जिला पंचायत बालोद के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. दूसरी बार आरक्षण की वजह से उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था. इस बार फिर से संजय चुनावी मैदान पर उतरे हैं. यह सीट पिछड़ा वर्ग सीट होने की वजह से काफी चर्चा में रहती है. अभी तक इस सीट पर किसी साहू समाज के ने इस सीट पर कब्जा नहीं किया है.
हैट्रिक मारने की तैयारी में कांग्रेस : ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चंद्रेश हिरवानी ने कहा कि जिला पंचायत की सभी सीटों के लिए हम कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा सीट हम जीत कर आए. पिछले दो बार से यहां पर जिला पंचायत अध्यक्ष का पद पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. हम हैट्रिक मारने की उम्मीद के साथ यहां पर मैदान में उतरे हुए हैं.
जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 10 कांग्रेस का सीट है और विपक्ष से चुनाव लड़ने वालों के लिए मैं यही कहना चाहूंगा उनके कुछ लोग विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए वोट मांगते हैं तो पंचायत चुनाव में भाजपा के लिए. अब जनता ही यह तय करेगी की वोट आखिर किसको देना है : चंद्रेश हिरवानी, अध्यक्ष, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी
नगर पालिका लड़ चुके हैं तोमन साहू : तोमन साहू इससे पहले नगर पालिका परिषद बालोद में लगभग 10 साल पहले नगर पालिका का चुनाव भी लड़ चुके हैं. इसके कारण जनता असमंजस में है कि उनका वास्तविक सीट बालोद शहर है या फिर करहीभदर. संशय की स्थिति मतदाताओं के मन में है. वहीं, संजय चंद्राकर को लेकर जनता का स्पष्ट मत है, क्योंकि वह पहले उपाध्यक्ष रहे हैं और वह ग्रामीण क्षेत्र के नेता भी माने जाते हैं.