दुर्ग :- दुर्ग का धमधा टमाटर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. इसे टमाटर हब भी कहा जाता है. यहां के किसान हर साल लाखों टन टमाटर की पैदावार करते हैं. सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी टमाटर भेजे जाते हैं.लेकिन इस साल टमाटर की पैदावार अधिक होने के कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. बाजार में टमाटर के दाम इतने गिर चुके हैं कि किसान इन्हें खेतों में ही सड़ने के लिए छोड़ने को मजबूर हैं.
कभी करे लाल कभी करे बेहाल : छत्तीसगढ़ में टमाटर हर सीजन में अपने रंग बदलता है. कभी ये आम आदमी की थाली से गायब हो जाता है.तो कभी इतना सस्ता हो जाता है कि थाली नहीं टोकरियां भर जाती है.आज से चंद महीने पहले टमाटर का भाव 200 रुपए किलो तक पहुंच गया था. वहीं अब हाल ये है कि मेहनत करके टमाटर उगाने वाले किसानों को फसल के दाम तक नहीं मिल रहे हैं.
बाजार में टमाटर हुआ धड़ाम : थोक मंडियों में टमाटर की कीमत 1-2 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है. किसानों को अपनी लागत तक निकालना मुश्किल हो रहा है.कई किसान खेतों से टमाटर तोड़ भी नहीं पा रहे, क्योंकि मजदूरी का खर्चा नहीं निकल पा रहा.खेतों में टमाटर सड़ रहे हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ये हालात सिर्फ धमधा में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी देखे जा रहे हैं, जहां टमाटर की फसल अधिक होने से दाम गिर गए हैं.
किसानों ने बयां किया दर्द : टमाटर उत्पादन करने वाले किसान का कहना है कि 40 एकड़ में टमाटर लगाया था.इस पर करीब 40 लाख रुपए खर्च किए थे.लेकिन इस बार बाजार में टमाटर का भाव इतना गिर गया है कि लागत भी नहीं निकल पा रही.
मजदूर नहीं मिलने के कारण हमें टमाटर खेतों में ही छोड़ना पड़ रहा है.इस बार टमाटर की बंपर फसल हुई, जिससे बाजार में इसकी अधिकता हो गई. अधिक सप्लाई होने के कारण कीमतें गिर गईं- दीप पटेल, किसान
टमाटर का उत्पादन अच्छा हुआ है, लेकिन बाजार में कोई खरीदार नहीं है .10 रुपए प्रति किलो भी नहीं बिक रहा, जबकि मंडी में कीमत 1-2 रुपए तक आ चुकी है.इससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है-दीपक चौधरी किसान
टमाटर से किसानों को हुआ नुकसान : टमाटर जल्दी खराब होने वाली फसल है, लेकिन किसानों के पास इसे स्टोर करने के लिए पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है. व्यापारी और बिचौलिये अक्सर किसानों से कम दाम में टमाटर खरीदते हैं और बाद में ऊंचे दामों पर बेचते हैं. टमाटर का निर्यात बढ़ाने या सरकारी खरीद की कोई ठोस नीति नहीं है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
किसानों के सामने बड़ी समस्या : दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में टमाटर की पैदावार ने किसानों को संकट में डाल दिया है. किसान अब फसल न बिकने और भाव नहीं मिलने से चिंतित हैं.आपको बता दें कि धमधा क्षेत्र में करीब 25 हजार एकड़ में टमाटर की खेती होती है. जिससे हर साल 1.90 लाख मीट्रिक टन से अधिक टमाटर का उत्पादन होता है. इस क्षेत्र के 70% किसान टमाटर की खेती करते हैं, क्योंकि यह फसल पहले काफी लाभदायक मानी जाती थी. लेकिन इस बार बाजार में टमाटर की भरमार होने के कारण इसकी कीमतें न्यूनतम स्तर तक गिर गई हैं. ऐसे में सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में किसान टमाटर की खेती से मुंह मोड़ सकते हैं, जिससे आपूर्ति और मांग का संतुलन बिगड़ सकता है.