सरगुजा :- छत्तीसगढ़ सरकार स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्त करण करने जा रही है. अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्त करण तो हमेशा से होता रहा है, लेकिन ऐसा पहली बार होगा जब स्कूलों को युक्त कर दिया जाएगा. मतलब एक ही प्रांगण में संचालित कम दर संख्या वाली स्कूल का दूसरे में विलय हो जाएगा. सरकार ऐसा करके फिजूल खर्च कम करना चाहती है. वहीं एकल शिक्षकीय या शिक्षक विहीन शालाओं में शिक्षक पहुंचाना चाहती है. लेकिन सरकार की इस नीति का विरोध शुरू हो गया है. शिक्षक संघ युक्तियुक्तकरण के पक्ष में हैं, लेकिन सरकार की नीति के खिलाफ हैं, वहीं कांग्रेस भी इस नीति को सही नही मान रही है.
क्या है शासन का नियम : शासन ने नियमों के अनुसार ऐसे स्कूल जो एक ही प्रांगण में संचालित हैं और उनमें छात्रों की संख्या कम है. उन्हें बंद कर दूसरी शाला में मर्ज किया जाएगा. मर्ज सिर्फ बच्चे होंगे वहां पदस्थ शिक्षकों को दूसरे जगह ट्रांसफर कर दिया जाएगा. वहीं ऐसे स्कूल जहां तय सेटअप से अधिक टीचर हैं वहां से अतिशेष शिक्षक को सेवा काल के अनुसार ट्रांसफर किया जाएगा, मतलब सबसे जूनियर शिक्षक को वहां से जाना होगा.
क्यों शिक्षक संघ कर रहा विरोध : लेकिन अब शिक्षक संघ इसका विरोध कर रहा है.शिक्षक संघ का कहना है कि 2021 अब तक हुई नियुक्ति जो सबसे जूनियर टीचर हैं वो अभी परिवीक्षा अवधि में हैं. उनको इससे मुक्त रखा गया है. मतलब सबसे जूनियर शिक्षक अतिशेष नहीं माना जाएगा. शिक्षक संघ की आपत्ति ये है कि जब स्कूल में पद रिक्त ही नही था तो वहां पर नई पदस्थापना क्यों की गई. अगर की गई है तो फिर वो अतिशेष की श्रेणी में क्यों शामिल नही है.
सरकार ने युक्तियुत करण करने के निर्देश दिए हैं, इसमें ऐसी स्कूल जहां बच्चे कम हैं. उसके आस पास दूसरे स्कूल है तो उस स्कूल को दूसरी स्कूल में मर्ज करना है. वहीं एकल शिक्षकीय स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की जा सके. इसके लिए अतिशेष शिक्षकों का समायोजन किया जाना है- हेमंत उपाध्याय,संयुक्त संचालक शिक्षा
ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों की मांग : इधर शालेय शिक्षक संघ के सर्वजीत पाठक ने युक्तियुक्तकरण की इस नई नीति का जमकर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि शिक्षक और समाज दोनों ही ये चाहते है कि गांव के स्कूलों में भी शिक्षक पदस्थ हों. लेकिन सरकार ने जिस तरह की नीति बनाई है वो सही नही है. 15 साल से युक्ति युक्तकरण होता आ रहा है. जब युक्तिकरण हो गया अतिशेष समायोजन हो गया तो बार बार कहां से ये अतिशेष शिक्षक आते हैं, क्यों उन स्कूलों में पोस्टिंग की जाती है. जहां पद ही रिक्त नही हैं. 2021 से हुई नियुक्तियों में शिक्षकों को अतिशेष नहीं माना जाएगा.जबकि उससे कई वर्ष सीनियर शिक्षक को वहां से हटना होगा. सरकार वाकई स्थित सुधारना चाहती है तो नियम बना दें कि एक शिक्षक को 15 वर्ष की सेवा ग्रामीण स्कूलों में देना अनिवार्य होगा.
पूर्व डिप्टी सीएम ने भी जताया ऐतराज : वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने भी युक्तियुक्त करण पर सहमति जताई है, लेकिन वो भी नीति के खिलाफ हैं. क्योंकि बार-बार युक्तियुक्त करण करने के बाद भी अतिशेष की स्थिति है. रिक्त पद नहीं होने के बाद भी वहां शिक्षक पदस्थ किए जा रहे हैं.
मैं इसका पक्षधर नही हूं कि परिवीक्षा अवधि वाले शिक्षक को छोड़कर हम पुराने शिक्षक को वहां से हटाएं.आपको ये देखकर पोस्टिंग करनी थी कि वहां पद रिक्त हैं या नहीं -टीएस सिंहदेव,पूर्व डिप्टी सीएम
इस विषय पर बीजेपी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव से जब हमने फोन पर चर्चा कि तो उन्होंने युक्तियुक्त करण को शिक्षा की जरूरत बताया. उन्होंने कहा कि जो शिक्षक यहां वहां पदस्थ हैं, कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी और पढ़ाई का लोड अधिक है. ऐसे स्कूलों में भी शिक्षक पहुंच जाएंगे. बार-बार युक्तिकरण करने की जरूरत इसलिए है क्योंकि इससे शिक्षा का बेहतर सेटअप बनेगा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी. रिक्त पदों में पोस्टिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये शासन का मामला है वो देखेगा.