श्रीनगर:- भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते ने जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए उम्मीद जगाई है कि उनका सामान्य जीवन फिर से पटरी पर लौट आएगा, जबकि हालिया संघर्ष ने कई परिवारों के लिए गहरा दर्द और जख्म छोड़ा है, जिनके घर गोलाबारी की चपेट में आए और क्षतिग्रस्त हो गए.
जम्मू कश्मीर के रेहारी निवासी राजेंद्र कुमार ने उस भयावह रात को याद करते हुए ईटीवी भारत से कहा, “मैं उस दिन को याद नहीं करना चाहता, जब मेरे पड़ोसी के घर में विस्फोट हुआ था, जिसका कुछ असर मेरे घर पर भी पड़ा. इसके बाद घर की छत आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी और उस कमरे में गिर गई थी, जहां मेरा बेटा सो रहा था. लेकिन भगवान की कृपा से वह सुरक्षित बच गया.”
कुमार ने कहा, “जब तेज आवाज हुई तो शुरू में हम समझ नहीं पाए कि क्या हुआ है, लेकिन आसपास भारी धुंध देखकर हम डर गए और सुरक्षा के लिए दूसरे कमरे में भाग गए.”
‘ऐसी गोलाबारी कभी नहीं देखी’
इसी तरह की भावनाओं को व्यक्त करते हुए उसी स्थान की एक वरिष्ठ नागरिक राज दुलारी ने ईटीवी भारत को बताया, “मैंने जम्मू के रिहायशी इलाकों में इस तरह की गोलाबारी कभी नहीं देखी. यह हमारे लिए बहुत भयानक अनुभव था जब एक गोला मेरे घर के सामने एक घर पर गिरा और पूरी गली धूल और धुंध से भर गई जिसके बाद हर जगह अफरा-तफरी मच गई और लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने लगे.”
उन्होंने कहा, “हम बहुत डरे हुए थे और 3-4 रातें बिना सोए बिताईं क्योंकि कोई नहीं जानता था कि आगे क्या होगा.”
रेहारी के एक अन्य निवासी रंजन गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया, “यह सच है कि गोलाबारी ने हमारे पड़ोस में कई घरों को नुकसान पहुंचाया है. इसके बावजूद हम अपने घरों से बाहर नहीं निकले. हम यहां एक-दूसरे को सपोर्ट कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि संघर्ष विराम के बाद यहां फिर से जीवन सामान्य हो जाएगा.”
नहीं पता कि घर पर क्या गिरा
नीरज गुप्ता, जिनके घर पर गोलाबारी के दौरान हमला हुआ और वे घायल हो गए. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि मेरे घर पर क्या गिरा, जिससे बहुत तेज आवाज हुई और हमारे घर की ऊपरी मंजिल क्षतिग्रस्त हो गई और बिल्डिंग मटेरियल हर जगह बिखर गया, जिससे मैं और मेरी बेटी बुरी तरह घायल हो गए. मैं भगवान का शुक्रगुज़ार हूं कि उन्होंने हमें इस हमले से बचाया.”
स्थिति को याद करते हुए गुप्ता ने कहा, “इससे पहले कि हम समझ पाते कि क्या हो रहा है, हम गिरे हुए मलबे के बीच फंस गए थे, उस समय हर कोई घबरा गया और सुरक्षित स्थान पर जाने की कोशिश कर रहा था.”
विभिन्न स्थानों के दौरे के दौरान ईटीवी भारत ने पाया कि रेहारी अकेला ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां हाल ही में तनाव का असर पड़ा है, बल्कि नूर, आरएस पुरा और जमशेदपुर के कुछ इलाके भी हैं जहां इस तनाव ने सामान्य कारोबारी माहौल को प्रभावित किया है. अब लोग फिर से काम शुरू करने के लिए पूरी तरह से सामान्य स्थिति का इंतजार कर रहे हैं. हाल ही में तनाव की स्थिति के कारण बड़ी संख्या में मजदूर अपने राज्यों को वापस चले गए हैं, जिससे यहां मजदूर संकट की स्थिति पैदा हो गई है.
वहीं, रघुनाथ बाजार के एक दुकानदार सुकेश खजूरिया ने ईटीवी भारत को बताया, “मैंने कल भी अपना व्यवसायिक प्रतिष्ठान खोला था, लेकिन ग्राहक नहीं आ रहे हैं. आज दोपहर तक भी मेरी दुकान पर एक भी ग्राहक नहीं आया और इसका कारण बुद्ध पूर्णिमा की छुट्टी हो सकती है। उम्मीद है कि जल्द ही लोग आना शुरू हो जाएंगे और सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी. बहुत से लोग अपने पैतृक गांवों और कस्बों में चले गए हैं और कुछ स्थानीय लोग भी सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं, जो एक और कारण हो सकता है.”
होटल और रेस्तरां उद्योग को नुकसान
बता दें कि भारत पाक तनाव का सबसे ज्यादा नुकसान होटल और रेस्तरां उद्योग को हुआ है, जो जम्मू क्षेत्र और कश्मीर घाटी के अन्य जिलों से पर्यटकों, दैनिक यात्रियों पर निर्भर हैं. जम्मू शहर के रेजीडेंसी रोड इलाके में मुगल दरबार होटल और रेस्तरां के एक कर्मचारी मनोज राणा ने भारत-पाकिस्तान मुद्दे के प्रभाव की ओर इशारा करते हुए ईटीवी भारत को बताया, “पिछले बुधवार से होटल और रेस्तरां उद्योग को कोई कारोबार नहीं मिल रहा है। आगंतुकों की संख्या में भारी कमी आई है. पहले, लगभग 180-190 लोग प्रतिदिन आते थे, लेकिन अब यह संख्या 10-15 लोगों तक ही रह गई है.”
विजिटर्स की कमी
दिन-ब-दिन कारोबार कम होने से चिंतित न्यू नाज होटल और रेस्तरां के प्रबंधक रियाज मलिक ने ईटीवी भारत को बताया, “यह सेक्टर इन दिनों कठिन समय का सामना कर रहा है क्योंकि आप रेस्तरां में खाली सीटें देख सकते हैं. हमें अप्रैल के मध्य तक अच्छा कारोबार मिल रहा था. हाल के मुद्दों और विजिटर्स की कमी के बाद होटल के अधिकांश कर्मचारी अपने मूल स्थान पर वापस चले गए हैं. मुझे उम्मीद है कि संघर्ष विराम से तनाव कम होगा और स्थिति सामान्य हो जाएगी.”
स्थिति के बारे में विस्तार से बताते हुए चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जम्मू) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया, “यह कई उद्योगों के लिए एक गंभीर स्थिति है क्योंकि 80 प्रतिशत प्रवासी मजदूर पहले ही अपने राज्यों में वापस जा चुके हैं और कोई नहीं जानता कि वे कब वापस आएंगे.