नई दिल्ली :- जींस पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक मुख्य परिधान है. जींस वास्तव में हर किसी की अलमारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है. इसे एक फैशन स्टेटमेंट और एक आरामदायक विकल्प के रूप में देखा जाता है, जो हर तरह के अवसर के लिए उपयुक्त है. कॉलेज स्टूडेंट हो या ऑफिस वर्कर, आजकल हर कोई जींस पहनना पसंद करता है. बहुत कम लोग होंगे जो जींस पहनना पसंद नहीं करते होंगे. यह एक आरामदायक पहनावा है.
बता दें, बाजार में कई तरह की जींस उपलब्ध हैं. जैसे, स्लिम फिट, रेगुलर फिट, स्किनी फिट, रिलैक्स्ड फिट. लेकिन इन सभी जींस में एक चीज कॉमन है, वो है दाहिनी तरफ जेब के ऊपर एक छोटी सी जेब. बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि ये छोटी जेब क्यों दी जाती है. सभी के मन में कभी न कभी ये सवाल जरूर आता होगा कि जब बड़ी जेबें होती हैं तो इस छोटी जेब का क्या मतलब है. आइए जानते हैं बड़ी जेब के ऊपर छोटी जेब क्यों होती है?
जींस में छोटी जेबें क्यों होती हैं?
जींस की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी और शुरुआत में इसे मजदूर वर्ग ही पहनता था. इस जींस को लेवी स्ट्रॉस ने एक विज्ञापन कंपनी के तौर पर बनाया था. इन जींस को बढ़ई, खनन मजदूरों और रेलवे कर्मचारियों को ध्यान में रखकर बनाया गया था. उस समय मजदूरों की सुविधा के लिए मोटे कपड़े और छोटी जेब वाली जींस बनाई जाती थी. इसके पीछे वजह यह है कि 19वीं सदी में इस्तेमाल की जाने वाली घड़ियों में बेल्ट नहीं होती थी और उनके डायल भी छोटे होते थे. ऐसे में अगर वे इसे जेब में रखते तो इसके गिरने और टूटने का खतरा ज्यादा रहता था. इसलिए घड़ी को सुरक्षित रखने के लिए इसमें एक छोटी जेब बनाई गई.
इस पॉकेट को वॉच पॉकेट भी कहा जाता है. हालांकि 20वीं सदी की शुरुआत में कलाई घड़ी के आविष्कार ने छोटी जेब की जरूरत को कम कर दिया और घड़ियों की लोकप्रियता को बढ़ा दिया, लेकिन लेवी और बाद में लगभग हर डेनिम ब्रांड ने अपने डिजाइन में इस पॉकेट को शामिल करने का फैसला किया.
जींस में छोटी जेब को क्या कहते हैं?
पहले जींस की छोटी जेब को वॉच पॉकेट कहा जाता था. हालांकि, समय के साथ इसे कई नामों से जाना जाने लगा. इसे फ्रंटियर पॉकेट, कॉइन पॉकेट, मैट पॉकेट और टिकट पॉकेट के नाम से भी जाना जाता है. भले ही आजकल लोग पैसे या सामान रखने के लिए जेब का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जींस पर यह छोटी जेब हर तरह की जींस में मौजूद होती है.