नई दिल्ली:– भारत में 7 जून को ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पवित्र पर्व मनाया जाएगा। इसी बीच उत्तर प्रदेश में मौलाना रशीद फिरंगी महली ने बकरीद को लेकर एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे कुर्बानी जरूर करें, लेकिन उससे जुड़ा कोई भी पोस्ट सोशल मीडिया पर नहीं करने को कहा।
मौलाना रशीद फिरंगी महली सोमवार को बकरीद को लेकर एडवाइजरी जारी की। महली ने इसमें मुस्लिम समुदाय से एक खास अपील की। उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हीं जानवरों की कुर्बानी करें जिन पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है और पूरी प्रक्रिया को कानूनी और सामाजिक मर्यादाओं के भीतर रहते हुए अंजाम दें।
पब्लिक प्लेस में न करें कुर्बानी
महली ने सोशल मीडिया चलाने वाले युवा वर्ग से अपील की। उन्होंने कुर्बानी की फोटो या वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर न डालने को कहा। इसके अलावा उन्होंने पब्लिक प्लेस पर, गली और सड़क किनारे कुर्बानी न करने का आग्रह किया। इसके साथ ही महली ने अपील की है कि कुर्बानी के जानवर के खून को नाली में न बहाया जाए और कुर्बानी के जानवर के अवशेष को खुले में न फेंके।
7, 8 और 9 जून को की जा सकती है कुर्बानी
मौलाना रशीद ने बताया कि इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक बकरीद इस साल 7 जून को मनाई जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि कुर्बानी 7,8 और 9 जून को की जा सकती है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि त्योहार के दौरान किसी शांति और स्वच्छता बनाए रखें।
क्रूरता व अवैध गतिविधियों पर लगे प्रतिबंध
मौलाना रशीद की अपील के बीच विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने बकरीद के नाम पर जीव हिंसा पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील करते हुए उन्हें संवेदनशीलता का परिचय देने और ईको-फ्रेंडली ईद मनाने की सलाह दी है।
डॉ. जैन ने कहा कि दीपावली, होली आदि हिंदू त्योहारों पर तथाकथित पर्यावरण प्रेमी हिंदुओं को सांकेतिक रूप में या इको-फ्रेंडली होली, दीपावली मनाने की अपील करते हैं। न्यायपालिका का एक वर्ग भी स्वतः संज्ञान लेकर उपदेशात्मक आदेश भी देता देखा गया है, लेकिन बकरीद पर होने वाली कुर्बानी को लेकर ये सभी कथित पर्यावरणविद चुप्पी क्यों साध लेते हैं