नई दिल्ली:– राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले को लेकर चली बहस के बीच कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र सरकार पर तीखे सवाल दागे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वाकई भारत ने पाकिस्तान पर बड़ी सैन्य सफलता हासिल की है, तो सरकार को छाती ठोक कर यह कह देना चाहिए कि हमारी कोई सैन्य क्षति नहीं हुई। साथ ही उन्होंने पहलगाम हमले को लेकर खुफिया तंत्र की विफलता और ऑपरेशन के समय लिए गए फैसलों पर भी सवाल उठाए।
हरीश रावत ने दावा किया कि पहलगाम में आतंकियों के हमले के बाद उनका स्केच अगले ही दिन जारी कर दिया गया, लेकिन उन्हें मार गिराने में महीनों क्यों लग गए? उन्होंने इसे भारत की आतंकी मामलों से निपटने की रणनीति में गंभीर कमजोरी बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष इन मुद्दों पर सवाल नहीं उठाएगा, तो विपक्ष का औचित्य ही क्या है? रावत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्धविराम की वजह को लेकर भी सरकार से जवाब मांगा।
सवालों की बौछार: ‘पीओके क्यों नहीं लिया?’
हरीश रावत ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए पूछा कि जब सेना पीओके तक जाने को तैयार थी और पूरा देश एकजुट था, तब अचानक युद्धविराम क्यों हुआ? उन्होंने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को किसी भी तरह की आपत्ति नहीं थी, तब सरकार ने बड़ा कदम क्यों नहीं उठाया? रावत ने कहा कि जनता जानना चाहती है कि किसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने का काम किया और क्यों।
‘सैन्य क्षति नहीं हुई, तो छाती ठोक कर बताएं’
रावत ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर भी सवाल खड़ा किया जिसमें कहा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर के सभी उद्देश्य पूरे हो गए। उन्होंने चुनौती दी कि सरकार को स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि इस पूरे ऑपरेशन में भारत को कोई सैन्य क्षति नहीं हुई, न कोई जहाज गिरा और न कोई जवान हताहत हुआ। उन्होंने कहा कि यदि यह सच है, तो सरकार को इसमें कोई झिझक क्यों हो रही है?
ऑपरेशन सिंदूर की पारदर्शिता चेतावनी पर गंभीर सवाल
राज्यसभा में छिड़ी इस बहस से साफ है कि विपक्ष अब ऑपरेशन सिंदूर की पारदर्शिता और पहलगाम हमले की पूर्व चेतावनी पर गंभीर सवाल उठा रहा है। हरीश रावत के इन तीखे सवालों से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इन सवालों का क्या जवाब देती है और क्या वह जनता के सामने खुलकर स्थिति स्पष्ट करती है।