कोरबा :- शासन के निर्देशों को कैसे तार-तार किया जाता है, इसकी बानगी कोरबा में देखी जा सकती है। यहां अर्जित भूमि की खरीब-बिक्री पर प्रतिबंध होने के बाद भी उप पंजीयक ने अधिग्रहित भूमि के टुकड़े कर उसकी बिक्री का अनुमति दे दी। मामले का खुलासा होने के बाद कलेक्टर अजीत वसंत ने उप पंजीयक को नोटिस जारी कर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है। कलेक्टर ने जवाब नही मिलने या संतोषप्रद जवाब नही होने पर एक पक्षीय कार्रवाई की भी चेतावनी दी है।
छत्तीसगढ़ में अधिग्रहित भूमि के नाम पर घोटाला का सिलसिला थमने का नाम ही नही ले रहा है। ताजा मामला कोरबा के ग्राम रलिया का है। यहां एसईसीएल की कोयला खदान के लिए ग्राम रलिया की जमीन अधिग्रहित किया गया है। जमीन अधिग्रहण उपरांत उक्त क्षेत्र के जमीन की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है। बावजूद इसके ग्राम रलिया निवासी भू-स्वामी सहसराम पिता दुलार साय द्वारा अपनी भूमि स्वामी हक की जमीन को विक्रय हेतु हाई कोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर किया गया था।
हाईकोर्ट ने उक्त मामले में सुनवाई के बाद किसी प्रकार की कानूनी बाधा नहीं होने पर याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के बीच निष्पादित बिक्री विलेख को कानून के अनुसार पंजीकृत करने के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पत्र पर विचार करने के लिए उपपंजीयक को निर्देशित किया गया था। हाईकोर्ट के इस निर्देश पर उप पंजीयक कोरबा को प्रकरण में विधि सम्मत कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन उप पंजीयक कोरबा पावरेम मिंज ने हाईकोर्ट के निर्देश का गलत अनुवाद कर अर्जित ग्राम रलिया के विक्रेता की भूमि का ना केवल विक्रय पंजीयन का आदेश दिया।
बल्कि उक्त जमीन के टुकड़े कर शासन के निर्देशो का उल्लंघन कर विक्रय पंजीयन किया गया। मामले का खुलासा होने के बाद कलेक्टर अजीत वसंत ने उप पंजीयक को नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब मांगा है। कलेक्टर ने नोटिस में सख्ती दिखाते हुए स्पष्ट किया है कि जवाब प्राप्त नहीं होने अथवा समाधान कारक नहीं पाए जाने की स्थिति में उप पंजीयक कोरबा के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। कलेक्टर के इस नोटिस के बाद हड़कंप मचा हुआ है। अनुमान लगाया जा जिस तरह से शासन के निर्देशों का दरकिनार कर मनमानी की गयी है, उससे आने वाले समय में उप पंजीयक पर निलंबन की गाज गिर सकती है।