नई दिल्ली :- भारतीय लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल ने धनश्री वर्मा से तलाक के बाद मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने के बारे में खुलकर बात की है. उन्होंने बताया कि उन्हें गलत तरीके से “धोखेबाज” करार दिया गया था और इस उथल-पुथल भरे दौर में उनके मन में आत्महत्या के विचार भी आए थे. राज शामानी पॉडकास्ट पर बात करते हुए, चहल ने अपने प्राइवेट लाइफ की सार्वजनिक आलोचना पर बात की और बेबाकी से कहा कि अलग होने का फैसला अचानक नहीं लिया गया था, बल्कि कुछ समय से इस पर विचार किया जा रहा था.
उन्होंने कहा कि तलाक के बाद मुझे धोखेबाज कहा गया. लेकिन मैंने जिंदगी में कभी किसी को धोखा नहीं दिया. मैं हमेशा बेहद वफादार रहा हूं . अपने करीबी लोगों और प्रियजनों के लिए मैंने हमेशा दिल से सोचा है. 34 वर्षीय क्रिकेटर ने कहा कि सेपरेशन के बाद वे इमोशनली बहुत परेशान थे. चहल ने कहा कि उनके मन में आत्महत्या के विचार आते थे. उन्होंने यह भी कहा कि उस समय मैं अपनी जिंदगी से थक चुका था. मैं दिन में दो घंटे रोता था, बस दो घंटे सोता था. ऐसा 40 दिनों से अधिक समय तक चला. मुझे घबराहट और डिप्रेशन के दौरे पड़ते थे. सिर्फ मेरे करीबी लोग ही जानते थे कि मैं उस समय किस दौर से गुजर रहा था. युजवेंद्र चहल यह भी बताया कि उन्होंने क्रिकेट से ब्रेक लेने पर विचार किया था, क्योंकि मेंटल स्ट्रेस के कारण उन्हें ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत हो रही थी. आज इस खबर में विस्तार से जानिए कि किन परिस्थितियों में लोगों के मन में आत्महत्या का विचार आता है और पुरुषों पर तलाक का क्या असर होता है?
आत्महत्या का ख्याल क्यों आता है
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. मीरा शाह मुताबिक, आत्महत्या अपने आप में कोई मानसिक बीमारी नहीं है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, व्यक्तित्व विकार, किसी अचानक हुई घटना का मानसिक प्रभाव और स्ट्रेस. इस समस्या से जूझ रहे लोग अक्सर उदास रहते हैं और उनके मन में हर समय नकारात्मक विचार आते रहते हैं. कई बार वे परिस्थितियों के आगे खुद को इतना असहाय महसूस करते हैं कि उनके मन में आत्महत्या का विचार आने लगता है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति अचानक आत्महत्या जैसा बड़ा कदम नहीं उठाता है. आत्महत्या करने वाला व्यक्ति काफी देर तक इसके बारे में सोचता है. कोई भी इस रास्ते को आसानी से नहीं चुनता है. एनआईएच के अनुसार , जो लोग हमेशा दुखी रहते हैं उनमें आत्महत्या करने की संभावना अधिक होती है.
पुरुषों पर तलाक का क्या होता है असर
परामर्श मनोवैज्ञानिक डॉ. अरविंद मेहरा के मुताबिक, तलाक पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक कठिन और भावनात्मक रूप से उथल-पुथल भरा अनुभव हो सकता है. जहां मीडिया अक्सर महिलाओं पर तलाक के नकारात्मक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करता है, वहीं पुरुष भी तलाक की प्रक्रिया के दौरान और बाद में कई तरह की चुनौतियों और भावनाओं का अनुभव करते हैं. तलाक पुरुषों को कई तरह से प्रभावित करता है, जिसमें भावनात्मक, सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां शामिल हैं. कुछ पुरुषों को तलाक के बाद राहत मिल सकती है, जबकि अन्य को उदासी, क्रोध और चिंता जैसी नकारात्मक भावनाओं का सामना करना पड़ सकता है. तलाक पुरुषों के सोशल लाइफ, डेली रूटीन और वित्तीय व कानूनी दायित्वों को भी प्रभावित कर सकता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, जब दो लोग साथ जीवन बिताने का फैसला करते हैं, तो दो परिवार जुड़ते हैं. इसमें कई रिश्ते बनते हैं. दोनों के बीच रिश्ता मजबूत होने लगता है, लेकिन जब ये दोनों अलग होने का फैसला करते हैं, तो इन रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगती हैं. तलाक लेना सिर्फ एक दूसरे से अलग होना नहीं होता है, बल्कि इससे दो परिवारों को आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से काफी नुकसान होता है. यह पैसे, रिश्तों, बच्चों, सामाजिक स्थिति को नुकसान पहुंचा सकता है. यही कारण है कि कानून भी तलाक लेने से पहले दोबारा सोचने की सलाह देता है.
पुरुष आत्महत्या के बारे में क्यों सोचते हैं?
हमारे समाज में पुरुषों और महिलाओं की भूमिकाएं अलग-अलग हैं. पुरुषों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी कमाई से घर चलाएं, जबकि महिलाओं को अक्सर घरेलू जिम्मेदारियों तक ही सीमित रखा जाता है. यह दबाव मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, खासकर उन पुरुषों के लिए जो कमजोर समझे जाने के डर से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते या मदद नहीं मांग पाते और अंततः आत्महत्या कर लेते हैं.
पुरुषों का पालन-पोषण इस तरह से किया जाता है कि उन्हें अपनी कमजोरियों को किसी के सामने प्रकट न करने, हर परिस्थिति में मजबूत होने का दिखावा करने और चुपचाप सहने की शिक्षा दी जाती है. यही कारण है कि वे अपनी उलझन, द्वन्द्व, निराशा और हताशा को अपने रिश्तेदारों या दोस्तों से साझा नहीं कर पाते और अंततः हार मानकर मौत को गले लगा लेते हैं. पुरुषों के विरुद्ध अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं. इनमें झूठे आरोप, भावनात्मक शोषण, घरेलू हिंसा और कानूनी उत्पीड़न शामिल हैं. झूठे आरोपों के कारण वे मानसिक, कानूनी और सामाजिक रूप से प्रताड़ित महसूस करते हैं. इससे उन्हें मानसिक आघात पहुचता है, जिसे कोई समझने की कोशिश भी नहीं करता.
पुरुषों में बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में 1 लाख 71 हजार लोगों ने आत्महत्या की थी. देश में सुसाइड रेट ने रिकॉर्ड तोड़ दिया. इसी के साथ दुनिया में सुसाइड करने के मामले में भारत टॉप पर आ गया. देश में सुसाइड करने वालों में एक लाख 22 हजार 724 पुरुष थे और 48 हजार 286 महिलाएं. NCRB की रिपोर्ट ने पुरुषों की भावनात्मक अनदेखी और पुरुषों में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या को लेकर चिंता में डाल दिया.
तलाक के बाद आत्महत्या के विचार पर कंट्रोल पाने के लिए क्या करें
मनोचिकित्सक डॉ. राधिका ईरानी के अनुसार, तलाक के कारण होने वाली विभिन्न मानसिक समस्याओं के कारण लोग आत्महत्या के बारे में सोचने लगते हैं. ऐसे में इस बोझ को कम करने के लिए अधिक आत्म-दया और साहस की आवश्यकता होती है. इसका इलाज उसी क्षण शुरू हो जाता है जब आप अपनी चुप्पी तोड़ते हैं. यानी अपने अंदर दबी भावनाओं को बाहर निकालकर लोगों से बात करते हैं. ऐसी स्थिति में, किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क करें जिस पर आप भरोसा करते हों, चाहे वह दोस्त हो, परिवार का सदस्य हो या कोई चिकित्सक. समय के साथ, छोटे-छोटे लेकिन सोच-समझकर उठाए गए कदमों से, आप एक ऐसा जीवन शुरू कर सकते हैं जो सार्थक हो, नए उद्देश्यों से भरा हो और आगे बढ़ते रहने की शांत शक्ति से भरा हो.