वाराणसी। काशी की पावन नगरी में 7 सितंबर को होने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। इस दिन साल का सबसे लंबा और अंतिम चंद्रग्रहण रात 8:58 बजे से शुरू होकर रात 1:26 बजे तक रहेगा, जो पूरे भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। इस ग्रहण के कारण वाराणसी के प्रसिद्ध गंगा घाटों पर होने वाली शाम की गंगा आरती का समय बदलकर दोपहर में कर दिया गया है।
ग्रहण और सूतक का प्रभाव
चंद्रग्रहण के दौरान सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू हो जाएगा, जो ग्रहण की शुरुआत से 9 घंटे पहले प्रभावी होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक और ग्रहण काल में पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक रहती है। इसी कारण गंगा आरती, जो सामान्यतः शाम को आयोजित होती है, को 7 सितंबर को दोपहर में सूर्य प्रकाश में किया जाएगा। यह पांचवीं बार है जब गंगा आरती का समय चंद्रग्रहण के कारण बदला जा रहा है।
धार्मिक महत्व और पितृपक्ष की शुरुआत
7 सितंबर का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। मान्यता है कि इस दौरान किया गया तर्पण और पितृ पूजन पितरों को शीघ्र तृप्त करता है, जिससे परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ग्रहण काल में भक्तों को जप, ध्यान और भगवान की स्तुति करने की सलाह दी गई है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान, दान और शुद्ध भोजन ग्रहण करने की परंपरा है।
गंगा आरती की बदली व्यवस्था
गंगा घाटों पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का आयोजन इस बार विशेष रूप से सूर्य प्रकाश में होगा। आयोजकों ने बताया कि ग्रहण के सूतक काल को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है ताकि धार्मिक परंपराओं का पालन सुनिश्चित हो सके। इस बदलाव के बावजूद, गंगा आरती की भव्यता और श्रद्धा में कोई कमी नहीं होगी। भक्तों और पर्यटकों से अपील की गई है कि वे नए समय के अनुसार आरती में शामिल हों।