नई दिल्ली:– पितरों की मुक्ति के लिए सबसे सही समय पितृ पक्ष का माना जाता है जिसकी शुरुआत हो चुकी है। मान्यता है कि इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है।
मान्यता है कि 15 दिन रोजाना पितरों के नाम से तर्पण और दान पुण्य आदि कार्य करने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में सभी प्रकार के मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। ऐसे में इस दौरान भगवान की पूजा करनी चाहिए या नहीं? आइए जानते हैं.
आगे बढ़ने से पहले बता दें कि, ऐसी मान्यताएं हैं कि पितृ पक्ष के दौरान पितर (पूर्वज) धरती पर वास करते हैं। जिसके चलते इस दौरान पितरों की पूजा करना बेहद कल्याणकारी माना गया है।
पूजा कर सकते हैं या नहीं?
पितृ पक्ष के दौरान घर पूजा-पाठ कर सकते हैं। यह वर्जित नहीं है। इस दौरान घर में अगर लड्डू गोपाल हैं तो उन्हें रोज स्नान, श्रृंगार और उनकी सेवा करनी चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
हालांकि, पितृ पक्ष के दौरान पूजा के दौरान पितरों का भी स्मरण जरूर करना चाहिए। भगवान को भोग लगाते समय भी उनका स्मरण करना चाहिए।
इन लोगों भी लगाएं भोग
इसके अलावा भोग के साथ कुत्ता, कौवा और पक्षियों के लिए भोजन जरूर निकालना चाहिए।
मंदिर में पूर्वजों की तस्वीर
घर में अगर मंदिर है तो वहां पर देवी-देवताओं की प्रतिमा के साथ पूर्वजों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होने लगता है और वास्तु दोष लगता है।
सुबह स्नान के बाद करें ये काम
पितृ पक्ष के दौरान सुबह उठने के बाद स्नान कर देवी-देवताओं की पूजा करनी चीहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा के बिना पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान इत्यादि का फल नहीं मिलता है।