नई दिल्ली:– भारत की राजनीति में ऐसे क्षण बार-बार नहीं आते जब कोई नेता केवल सत्ता का पर्याय न रहकर एक संकल्प, एक युग और एक विचारधारा का प्रतीक बन जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने जीवन के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह अवसर केवल व्यक्तिगत जन्मदिन का उत्सव नहीं है, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए आत्ममंथन और गौरव का क्षण है। आज जब हम मोदी जी को “देवदूत” कहकर संबोधित करते हैं, तो उसके पीछे उनकी दूरदृष्टि, निस्वार्थ परिश्रम, राष्ट्र के लिए त्याग और भारतीय जनता के जीवन में आए ठोस परिवर्तन छिपे हुए हैं।
संघर्षों से देवदूत बनने तक
वडनगर के एक सामान्य परिवार से निकलकर राष्ट्रीय और वैश्विक नेतृत्व तक की उनकी यात्रा अत्यंत प्रेरणादायी है। साधारण जीवन से लेकर जनसेवा के संकल्प तक, मोदी जी ने हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुई उनकी सेवा यात्रा भारतीय जनता पार्टी के संगठन विस्तार और अंततः देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुँची। यहाँ तक का उनका सफर इस बात का प्रमाण है कि जब दृढ़ निश्चय, अटूट श्रम और राष्ट्रप्रेम साथ आते हैं, तो असंभव लगने वाली मंज़िलें भी संभव हो जाती हैं।
11 वर्षों की ऐतिहासिक उपलब्धियां
प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी के नेतृत्व को अब ११ वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस कालखंड में ८०५ से अधिक योजनाएँ लागू हुईं, जिनका सीधा असर गरीब, किसान, महिला, युवा, श्रमिक और वंचित समाज पर पड़ा
प्रधानमंत्री आवास योजना से करोड़ों परिवारों को पक्का मकान मिला।
उज्ज्वला योजना से 8.5 करोड़ महिलाओं के घर तक रसोई गैस पहुँची।
आयुष्मान भारत योजना से करोड़ों परिवारों को 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा मिला।
जनधन योजना के तहत करोड़ों गरीबों के बैंक खाते खुले।
किसान सम्मान निधि के अंतर्गत अब तक लाखों करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में पहुँचे।
जलजीवन मिशन से 20 करोड़ से अधिक घरों तक नल का स्वच्छ जल पहुँचा।
इन योजनाओं ने केवल आँकड़े नहीं बढ़ाए, बल्कि सामान्य नागरिक के जीवन में ठोस बदलाव लाया। यही वजह है कि मोदी जी को “देवदूत” कहा जा रहा है—क्योंकि उन्होंने हर वर्ग की पीड़ा समझकर समाधान प्रस्तुत किया।
आत्मनिर्भर भारत का संकल्प
मोदी जी का सबसे बड़ा योगदान भारत को आत्मनिर्भर बनाने का है। मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मुद्रा योजना, पीएलआई योजना जैसे कार्यक्रमों ने स्थानीय उत्पादन और उद्यमिता को बढ़ावा दिया। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम में से एक है।
कोविड महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया दवाइयों और वैक्सीन को लेकर जूझ रही थी, तब भारत ने न केवल अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन बनाई बल्कि “वैक्सीन मैत्री” के तहत दर्जनों देशों को भी आपूर्ति की। यह आत्मनिर्भर भारत का सजीव उदाहरण था।
सुरक्षा के क्षेत्र में निर्णायक नेतृत्व
मोदी जी का नेतृत्व केवल विकास तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने भारत की सुरक्षा को भी मजबूत आधार दिया।
सर्जिकल स्ट्राइक (2016) ने यह संदेश दिया कि भारत आतंकवाद को उसकी ही धरती पर जाकर जवाब दे सकता है।
बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) ने दिखा दिया कि भारत अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा।
हाल ही में हुआ ऑपरेशन सिंदूर यह प्रमाण है कि भारत केवल अपनी ही सुरक्षा नहीं बल्कि वैश्विक शांति और सहयोग में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
इन कदमों ने भारतीय सेना की शक्ति और मोदी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति को विश्वभर में स्थापित किया।
वैश्विक मंचों पर भारत की प्रतिष्ठा
मोदी जी ने भारत की विदेश नीति को नई ऊँचाई दी। “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को जीवंत करते हुए उन्होंने भारत को वैश्विक समस्याओं के समाधानकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया।
G20 की अध्यक्षता ने भारत की नेतृत्व क्षमता को सिद्ध किया।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने संतुलित भूमिका निभाई और दोनों पक्षों से संवाद बनाए रखा।
पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर भारत की नीतियाँ विश्व में सराही जा रही हैं।
वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था में भारत अब अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
आज भारत न केवल निवेश का पसंदीदा गंतव्य है, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी एक भरोसेमंद सहयोगी देश है।
डिजिटल इंडिया– सुशासन की रीढ़
2015 में शुरू हुआ डिजिटल इंडिया कार्यक्रम आज भारत के सुशासन की रीढ़ बन चुका है।
UPI आधारित डिजिटल भुगतान ने लेन-देन की दुनिया बदल दी।
डिजीलॉकर ने नागरिकों को अपने दस्तावेज़ सुरक्षित और सुलभ रखने की सुविधा दी।
उमंग ऐप ने एक ही प्लेटफॉर्म पर सैकड़ों सरकारी सेवाएँ उपलब्ध कराईं।
आज डिजिटल व्यवस्था के मामले में भारत दुनिया के सबसे अग्रणी देशों में है।
सामाजिक सुधार और संवेदनशीलता
मोदी सरकार ने केवल विकास और सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि समाज के भीतर गहराई तक मौजूद समस्याओं का समाधान भी किया।
ट्रिपल तलाक पर रोक लगाकर करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को सम्मानजनक जीवन दिया।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से लिंगानुपात सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण परिणाम मिले।
दीनदयाल अंत्योदय योजना और राष्ट्रीय आजीविका मिशन से 8 करोड़ से अधिक महिलाएँ स्व-सहायता समूहों से जुड़कर आत्मनिर्भर बनीं।
यह संवेदनशील दृष्टिकोण ही मोदी जी को जनता के बीच देवदूत की तरह स्थापित करता है।
अमृतकाल का संकल्प
मोदी जी के नेतृत्व में भारत आज “अमृतकाल” में प्रवेश कर चुका है। यह केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं बल्कि एक ठोस रोडमैप है, जिसमें 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प है।
नए राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षा को रोजगार और कौशल से जोड़ा।
खेलो इंडिया अभियान ने युवा खिलाड़ियों को अवसर दिए।
स्वामित्व योजना ने ग्रामीण भारत में संपत्ति के अधिकार सुनिश्चित किए।
इन पहलों से स्पष्ट है कि मोदी जी का दृष्टिकोण केवल वर्तमान तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है।
देवदूत @75 – निष्कर्ष
जब हम नरेंद्र मोदी जी के 75 वर्षों की यात्रा पर दृष्टि डालते हैं, तो पाते हैं कि यह जीवन केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का नहीं बल्कि राष्ट्र के लिए समर्पण का है। वडनगर के एक छोटे बच्चे से लेकर वैश्विक नेतृत्व के शीर्ष तक पहुँचना किसी सामान्य व्यक्ति की कहानी नहीं हो सकती। यह केवल परिश्रम, तपस्या और सेवा भावना से ही संभव है।
आज मोदी जी को “देवदूत” कहना इसलिए उचित है क्योंकि उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाया, सुरक्षित बनाया, दुनिया में सम्मान दिलाया और आमजन का जीवन बदला। उनके नेतृत्व में भारत ने विकास और गौरव की नई गाथा लिखी है। 75 वर्ष की आयु में भी वही ऊर्जा, वही उत्साह और वही अटूट समर्पण लेकर नरेंद्र मोदी जी राष्ट्र को एक नई दिशा दे रहे हैं। उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा है और आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक।