नई दिल्ली:– आज होने वाली कैबिनेट बैठक में शिपिंग सेक्टर को लेकर महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं. सूत्रों के अनुसार, सरकार शिपिंग क्षेत्र के विकास के लिए तीन बड़ी योजनाओं को मंजूरी दे सकती है, जिनकी कुल लागत 70,000 करोड़ रुपये होगी.
25,000 करोड़ रुपये की शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम, जो जहाज निर्माण के लिए कारोबारी सहायता प्रदान करेगी.
25,000 करोड़ रुपये का मेरीटाइम डवलपमेंट फंड, जो समुद्री विकास और सुरक्षा पहलुओं को मजबूत करेगा.
20,000 करोड़ रुपये की शिपबिल्डिंग डवलपमेंट स्कीम, जो ग्रीनफील्ड शिपबिल्डिंग मेगा क्लस्टर्स को सहायता देगी तथा बंदरगाहों और लैंड कनेक्टिविटी के विस्तार पर केंद्रित होगी.
इन योजनाओं के माध्यम से सरकार शिपिंग सेक्टर में कारोबारी सहायता बढ़ाने, आधुनिक तकनीक को अपनाने और क्वालिटी स्टैंडर्ड को सुधारने के लिए काम करेगी.
यह कदम भारत को आत्मनिर्भर और दुनिया की एक बड़ी समुद्री शक्ति बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं.
कौन से स्टॉक्स पर रखें नजर
शिपिंग सेक्टर के लिए सरकार की तीन बड़ी योजनाओं के एलान के बाद भारतीय शेयर बाजार में खासकर शिपिंग और शिपबिल्डिंग कंपनियों के शेयरों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है. इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित कंपनियों के शेयर प्रभावित हो सकते हैं:
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE)
शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI)
जीई शिपिंग (GE Shipping)
एस्सार शिपिंग (Essar Shipping)
सीमैक्स (Seamec)
ग्लोबल ऑफशोर्स (Global Offshore)
चिप से शिप तक का सफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र में पिछले दिनों कहा था कि “चिप हो या शिप, भारत में ही बनाना होगा.” उन्होंने आगे कहा कि शिप बिल्डिंग को “मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज” है क्योंकि यह न केवल जहाज बनाता है, बल्कि इसके आसपास कई इंडस्ट्री का भी विकास होता है. इन पहलों से भारत में लगभग दो करोड़ रोजगार पैदा होने की उम्मीद है और यह देश को ग्लोबल शिपिंग इंडस्ट्री में मजबूती प्रदान करेगा.
ये नई योजनाएं जल्द ही कैबिनेट से औपचारिक मंजूरी मिलने की प्रक्रिया में हैं और आने वाले सालों में शिपिंग सेक्टर को 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश मिलेगा. इससे भारत के शिपयार्ड्स को नई उड़ान मिलेगी और वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार कर सकेंगे.
