अखिलेश द्विवेदी रायपुर
रायपुर। राजधानी रायपुर स्थित ओम मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। 15 अगस्त को आर्थोपेडिक इलाज के लिए भर्ती सीमा उपाध्याय की संदिग्ध मौत के बाद परिवार पिछले एक महीने से न्याय की गुहार लगा रहा है। परिजन आरोप लगा रहे हैं कि डॉक्टरों की लापरवाही से महिला की जान गई, जबकि अस्पताल प्रबंधन नेताओं और रसूखदारों का नाम लेकर दबाव बना रहा है।
परिजनों का दर्द: “इलाज के नाम पर मौत दी”
मृतका सीमा उपाध्याय के बेटे ने कहा –
👉 “हमारी मां इलाज कराने गई थीं, लेकिन लाश बनकर लौटीं। आज तक हमें कोई न्याय नहीं मिला। हम दर-दर भटक रहे हैं – कभी एसपी ऑफिस, कभी कलेक्टर ऑफिस, तो कभी सीएम हाउस तक। लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिला है।”
परिजनों का आरोप है कि एम्स रायपुर की रिपोर्ट में “अननेचुरल डेथ” (अस्वाभाविक मृत्यु) और पसलियों की हड्डियां टूटने का जिक्र होने के बावजूद थाना और प्रशासन कार्रवाई से बचते रहे।
👉 “डीडी नगर थाना ने हमारी शिकायत दर्ज करने से भी मना कर दिया। कहा गया कि दिल्ली से अंतिम पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही एफआईआर होगी। जब हमने सवाल उठाए कि एम्स की रिपोर्ट को आधार क्यों नहीं माना जा सकता, तब जाकर बयान दर्ज हुआ।”


परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि हॉस्पिटल प्रबंधन लगातार उन्हें समझौते के लिए मजबूर कर रहा है।
👉 “वे कहते हैं कि हमारे ऊपर नेताओं का हाथ है, हम बीजेपी से जुड़े हैं और मीडिया में पकड़ है। तुम लोग कुछ नहीं कर पाओगे। लेकिन हम किसी भी हाल में समझौता नहीं करेंगे। हमें हमारी मां के लिए न्याय चाहिए और दोषियों को जेल में होना चाहिए।”
आर्थिक संकट में परिवार
सीमा उपाध्याय के निधन से परिवार पर गहरा आर्थिक संकट आ गया है। परिजनों ने बताया –
👉 “मां ही घर का सहारा थीं। बहन की शादी करनी थी, घर का लोन चुकाना था, भाई की पढ़ाई का खर्च था। अब सब अधूरा रह गया। हमारी मां की मौत ने हमें अंदर तक तोड़ दिया है। हॉस्पिटल वाले ना बिल दे रहे हैं, ना इलाज से जुड़े सही कागजात। जो पर्चियां मिलीं उनमें भी समय और दवाइयों में गड़बड़ियां हैं।”
स्वास्थ्य विभाग ने लिया संज्ञान
मामले को लेकर अब स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में आया है। राज्य नोडल एजेंसी, छत्तीसगढ़ ने इस पूरे प्रकरण को गंभीर मानते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), रायपुर को जांच के निर्देश दिए हैं।
आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं एवं सह मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने पत्र जारी कर कहा है कि समाचारों के अनुसार ओम हॉस्पिटल में प्रसूता महिला की मौत और परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर हैं। सीएमएचओ को तत्काल जांच कर तथ्यात्मक प्रतिवेदन सहित विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
सवालों के घेरे में प्रशासन
यह मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है—
जब एम्स की रिपोर्ट में अननेचुरल डेथ का जिक्र है, तो थाने ने एफआईआर दर्ज करने में देरी क्यों की?
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई एक महीने बाद क्यों हुई?
क्या नेताओं और रसूखदारों का दबाव वास्तव में जांच और कार्रवाई को प्रभावित कर रहा है?
परिजनों की चेतावनी
परिवार का साफ कहना है कि अगर न्याय नहीं मिला तो वे आंदोलन करेंगे।
👉 “हम मर भी जाएंगे लेकिन समझौता नहीं करेंगे। हमें हमारी मां के लिए न्याय चाहिए। अगर ओम हॉस्पिटल की लापरवाही से जान गई है तो इस पर ताला लगना चाहिए और दोषी डॉक्टरों को जेल जाना चाहिए।”