दुनिया के कई हिस्सों में, खासकर भारत, जापान और चीन में, पूजा के दौरान धूप जलाना एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो वातावरण को शुद्ध और सुगंधित करती है. यह ईश्वर के प्रति भक्ति दिखाने, सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने, नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाने और ध्यान व एकाग्रता में सहायता के लिए किया जाता है. भारतीय पूजा अगरबत्ती के बिना अधूरी है. लेकिन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, यह समझाया गया है कि अगरबत्ती के धुएं से आंख, नाक, कान, गला, त्वचा, सांस की समस्या, हार्ट और ब्लड वेसेल्स की समस्याएं, न्यूरोसाइकोलॉजिकल विकार, कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
एक अध्ययन से पता चला है कि अगर 65 वर्षीय महिला गृहिणी 30 साल से अधिक समय तक अगरबत्ती के दैनिक उपयोग के कारण बड़ी मात्रा में धुएं के संपर्क में रहती है, तो उसे चक्कर आना, थकान, गंभीर कमजोरी, निचले पैरों में सूजन, अंगों में दर्द और काम करते समय सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा कहा जाता है कि लगातार सांस लेना सिगरेट की तुलना में अधिक गंभीर प्रभाव डालता है. इसमें कौन से रसायन होते हैं?
अस्थमा, टीबी, स्लीप एपनिया और सीओपीडी की विशेषज्ञ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सोनिया गोयल ने अपने इंस्टाग्राम पर रोजाना धूप के धुएं को अंदर लेने के हानिकारक प्रभावों पर चर्चा की है. 3 अगस्त को इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, उन्होंने धूप के धुएं से जुड़े विभिन्न खतरों के बारे में बताया.
धुएं के कारण होने वाली समस्याएं
जब आप धुआं अंदर लेते हैं, तो सबसे पहले आपकी आंखें जलने लगती हैं. आपकी नाक और गला भी जलने लगता है.
एलर्जी से पीड़ित कुछ लोगों को सांस लेने में समस्या और साइनस की समस्या बढ़ जाती है.
सांस लेने में समस्या होती है.कुछ लोगों को भयंकर खांसी होती है.
अगरबत्ती में मौजूद केमिकल्स: अगरबत्तियां PM 2.5 कण, कार्बन मोनोऑक्साइड और हानिकारक गैसें उत्सर्जित करती हैं. ये कण आपके घर की हवा को प्रदूषित करते हैं. इन कणों को ज्यादा मात्रा में सांस लेने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
जलती हुई अगरबत्ती में सांस लेने का असर प्रदूषण में सांस लेने के समान ही होता है. ऐसा कहा जाता है कि अगरबत्ती के धुएं का असर पैसिव स्मोकिंग जैसा ही होता है.
किसे होगा असर? कहा जाता है कि अगरबत्ती के धुएं का बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, कई लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इन्हें जलाने से सांस लेने में तकलीफ, खांसी और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए बेहतर है कि घर में ज्यादा अगरबत्तियां न जलाएं.
अगरबत्ती के धुएं से होने वाली समस्याएं: रोजाना बंद कमरे में अगरबत्ती जलाने और उसकी खुशबू सूंघने से ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और सीओपीडी जैसी बीमारियां हो सकती हैं. अगर इसका असर ज्यादा हो, तो यह फेफड़ों के कैंसर का कारण भी बन सकता है. इनमें मौजूद रसायन हमें अनजाने में ही बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं. कैंसर या दूसरी बीमारियों से बचने के लिए हम धूम्रपान और तंबाकू से दूर रहते हैं. लेकिन, याद रखें कि ऐसी समस्याएं अगरबत्ती के जरिए भी हम पर हमला कर सकती हैं.