खानपुरा:– देशभर में आज दशहरा रावण दहन के प्रतीकात्मक आयोजन के साथ मनाया जा रहा है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां इस पर्व को बिल्कुल अलग रूप में देखा जाता है. मध्यप्रदेश के मंदसौर और उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित बिसरख गांव में दशहरे पर रावण की आराधना की जाती है, जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं.
खानपुरा मंदसौर क्षेत्र में नामदेव समाज रावण को “जमाई राजा” मानता है. मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी यहीं की पुत्री थीं, इसलिए दशहरे पर उनके पति को सम्मान दिया जाता है. सुबह ढोल-नगाड़ों के बीच रावण की प्रतिमा को फूल-मालाओं से सजाया जाता है, महिलाएं घूंघट उतारकर प्रणाम करती हैं और श्रद्धालु लाल लच्छा बांधकर मन्नत मांगते हैं. दिलचस्प बात यह है कि शाम को औपचारिक ‘पुतला दहन’ भी किया जाता है, परंतु पूरे सम्मान और परंपरा के साथ.
बिसरख ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश इसे रावण का जन्मस्थान माना जाता है. यहां कुछ ब्राह्मण परिवार दशहरे पर रावण की पूजा करते हैं. लोग उन्हें एक विद्वान ब्राह्मण, महान शिवभक्त और वेदों के ज्ञाता के रूप में स्मरण करते हैं. इस कारण यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं होता, बल्कि उनकी आत्मा की शांति और ज्ञान-स्मृति के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं. इन परंपराओं से साफ होता है कि दशहरा केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व ही नहीं, बल्कि भारत की विविध मान्यताओं और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक भी है।