नई दिल्ली :– रेखा गुप्ता सरकार दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास को कैफेटेरिया युक्त स्टेट गेस्ट हाउस में बदलने की तैयारी कर ली है। इस आवास को भाजपा “शीशमहल” कहती है। यह योजना पूरी तरह तैयार है और अब केवल अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
शनिवार को यह जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि शहर के अन्य सरकारी भवनों की तरह, इस बंगले में जल्द ही पारंपरिक व्यंजन परोसने वाली एक कैंटीन शुरू हो सकती है। उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बात यह बताई कि आम जनता को भी प्रवेश की अनुमति होगी और वे इस जगह का उपयोग कर सकेंगे।
बंगले में मिलेंगी ये सुविधाएं
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सरकार सिविल लाइंस इलाके में फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगला नंबर 6 में एक राज्य अतिथि गृह के निर्माण को अंतिम रूप देने के करीब है, जो पूर्व मुख्यमंत्री के आवास के रूप में खाली पड़ा था। इसमें एक फूड आउटलेट, पार्किंग और अन्य सुविधाएं शामिल होंगी।”
आखिरी मंजूरी का इंतज़ार
अधिकारी ने आगे बताया, “जिस तरह अधिकारी और मंत्री दूसरे सरकारी गेस्ट हाउस में मीटिंग और प्रशिक्षण कार्यशालाओं के लिए आते हैं और कमरे का किराया देते हैं, उसी तरह यहां भी यही लागू किया जाएगा। हालांकि, इस योजना को अभी उच्च अधिकारियों से अंतिम मंजूरी का इंतज़ार है।”
अधिकारी ने आगे बताया कि बंगले में वर्तमान में लगभग 10 लोगों का स्टाफ है, जो रोज़ाना झाड़ू लगाने, सफाई करने और रेफ्रिजरेटर व एयर कंडीशनर जैसे बिजली के उपकरणों का नियमित संचालन और रखरखाव करने जैसे विभिन्न कामों के लिए ज़िम्मेदार है।
CM ने कहा था सफेद हाथी
कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा था कि “शीशमहल” बंगला एक सफेद हाथी की तरह है और दिल्ली सरकार ने अभी तक इसके भविष्य को लेकर हम सोच रहे हैं कि क्या किया जाए? गौरतलब है कि यह वही बंगला है जो अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उनका आधिकारिक निवास हुआ करता था।
BJP ने बताया था ‘शीशमहल’
गौरतलब है कि यह वही सरकारी बंगला है जिसे लेकर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल पर कई आरोप लगाते हुए बड़ा मुद्दा बनाया था। भाजपा ने इसे “शीशमहल” नाम देते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर इसके जीर्णोद्धार पर करोड़ों रुपये बर्बाद करने का आरोप लगाया था।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि 2022 तक बंगले के जीर्णोद्धार पर लगभग 33.86 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वहीं, भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि बंगले की वास्तविक लागत 75 से 80 करोड़ तक पहुंच गई थी।
