नई दिल्ली:– सरकारी दफ्तरों और प्राइवेट ऑफिस में अधिकतर बायोमेट्रिक मशीन लगी होती है, जिससे आने-जाने पर कर्मचारी अपनी अटेंडेंस लगाते हैं। फेस डिटेक्शन या थंब इंप्रेशन के जरिए लोग हाजिरी लगाते हैं। लेकिन कर्नाटक में चार प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेजों में एक नया ऐप शुरू किया गया है, जिसका नाम है कर्नाटक अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम (KAMS), यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करता है। ऐप में एआई का इस्तेमाल बढ़ रहा है। एआई के बारे में और जानने के लिए NBT
यह पायलट प्रोजेक्ट है
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि यह पायलट प्रोजेक्ट है। इसे बंगलूरू साउथ, हावेरी, कोप्पल और मंड्या के पीयू कॉलेजों में शुरू किया गया है। इस ऐप को राज्य सरकार के ई-प्रशासन केंद्र ने विकसित किया है और यह एंड्रॉयड फोन पर काम करता है।
कर्मचारियों को कॉलेज पहुंचने पर ऐप खोलना होता है और ‘चेक इन’ बटन दबाना होता है। इसके बाद उन्हें अपनी एक सेल्फी लेनी होती है। सेल्फी के साथ-साथ GPS लोकेशन, तारीख और टाइम भी रिकॉर्ड हो जाता है। आखिर में ‘सबमिट’ बटन दबाकर हाजिरी रिकॉर्ड की जाती है। कॉलेज से निकलते टाइम भी चेक आउट करना होता है।
कर्मचारियों को मिली ट्रेनिंग
19 सितंबर को कर्मचारियों को इस ऐप के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी गई। स्कूल शिक्षा विभाग (प्री-यूनिवर्सिटी) के निदेशक कार्यालय ने निर्देश दिया कि इन चार जिलों के कॉलेज कर्मचारियों को अब अपनी हाजिरी इस ऐप के जरिए दर्ज करनी होगी। KAMS ऐप से फर्जी हाजिरी को रोका जा सकता है। कर्मचारियों को कॉलेज परिसर में ही चेक इन और चेक आउट करना होता है, इसलिए कोई बहाना नहीं चल सकता।
बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम बंद किया
कई सालों से कर्नाटक के सरकारी और सहायता प्राप्त पीयू कॉलेजों में आधार से जुड़ी बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम (BAS) का इस्तेमाल हो रहा था। इसमें कर्मचारी अपनी उंगलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) के जरिए हाजिरी दर्ज करते थे। लेकिन मार्च 2025 में राज्य सरकार ने KAMS ऐप को लाने का फैसला किया। यह नया सिस्टम चेहरा पहचान, GPS और रियल-टाइम मॉनिटरिंग का इस्तेमाल करता है। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि कर्मचारियों का डेटा सुरक्षित रहेगा और इसे किसी के साथ साझा नहीं किया जाएगा।