नई दिल्ली:– भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही डिजिटल पेमेंट्स इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DPIP) शुरू करने जा रहा है, जो AI की मदद से पेमेंट फ्रॉड को रीयल-टाइम में पहचान और रोक सकेगा। शुरुआती चरण में, आरबीआई ने एक निगेटिव रजिस्ट्री बनाई है, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों और भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) का डेटा जोड़ा गया है, ताकि संदिग्ध या फ्रॉड से जुड़े खातों और संस्थाओं को चिन्हित किया जा सके। यह प्लेटफॉर्म आरबीआई के इनोवेशन हब द्वारा विकसित किया गया है और फिलहाल कई बैंकों में लागू हो रहा है।
बता दें वित्त वर्ष 2024-25 में बैंकों ने कार्ड और इंटरनेट फ्रॉड के 13,516 मामले रिपोर्ट किए, जिनमें 520 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी। इनमें अधिकतर घटनाएं डिजिटल चैनलों जैसे कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़ी थीं। निजी बैंकों में सबसे ज्यादा डिजिटल फ्रॉड हुए, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ज्यादातर घटनाएं उनके लोन खातों से संबंधित थीं।
ट्रांजैक्शन से पहले मिलेगा फ्रॉड अलर्ट
ET के मुताबिक इस साल की शुरुआत में पांच बैंकों को इस प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया था। अब इसे आगे बढ़ाकर एक दर्जन से अधिक बैंकों में लागू किया जा रहा है। अगले चरण में यह प्लेटफॉर्म प्रत्येक ट्रांजैक्शन का तुरंत रिस्क स्कोर तैयार करेगा। अगर किसी ट्रांजैक्शन में धोखाधड़ी की संभावना पाई जाती है, तो बैंक अतिरिक्त जांच, अतिरिक्त सत्यापन, या अस्थायी डेबिट रोक जैसे कदम उठा सकेंगे।
इस चरण में बैंक फ्रॉड-संबंधी डेटा को रीयल-टाइम में प्लेटफॉर्म से साझा करेंगे, जिससे एआई मॉडल तुरंत सतर्क कर सकेंगे और बैंक ग्राहक को सावधान कर आवश्यक कदम उठाएंगे।
कैसे काम करेगा सिस्टम
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने 1 अक्टूबर की मौद्रिक नीति घोषणा के दौरान बताया कि यह प्लेटफॉर्म कई स्रोतों से जानकारी लेगा जैसे म्यूल अकाउंट्स, टेलीकॉम डेटा, Geospatial जानकारी और एआई सिस्टम को इस डेटा पर ट्रेन करेगा। इससे किसी ट्रांजैक्शन के पहले ही अलर्ट मिल जाएगा, ताकि बैंक या ग्राहक यह तय कर सके कि आगे बढ़ना है या नहीं।