नई दिल्ली:– दिवाली पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का बहुत अधिक महत्व है. माता लक्ष्मी धन, संपत्ति और समृद्धि की देवी हैं. उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि, आर्थिक स्थिरता और वैभव की प्राप्ति होती है. वहीं, भगवान गणेश बुद्धि, विवेक और बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं. उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. इसलिए दिवाली के समय घर में गणेश और लक्ष्मी दोनों की मूर्तियों को विशेष स्थान पर स्थापित करना और उनका पूजन करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है.
मान्यता है कि सही तरीके से पूजन करने से न केवल धन-समृद्धि आती है, बल्कि परिवार में सुख, शांति और सौभाग्य भी बढ़ता है. इसके अलावा, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति खरीदते समय भी कुछ बातों का खास ध्यान रखना जरूरी होता है. जानते हैं उनके बारे में
अलग-अलग हो मां लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा
दिवाली पूजा के लिए लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि दोनों की प्रतिमा अलग-अलग हो, कभी भी लक्ष्मी और गणेशजी की एक साथ जुड़ी हुई मूर्तियां ना खरीदें.
मोदक वाले गणेश जी ही खरीदें
गणेशजी की ऐसी मूर्ति खरीदें, जिसमें उनके हाथ में मोदक (गणेशजी का प्रिय भोजन) हो. मोदक ज्ञान, आनंद और भौतिक-सामाजिक समृद्धि का प्रतीक है.
गणेशजी की मूर्ति में उनके वाहन मूषक यानी चूहा का होना बहुत जरूरी है. मूषक वाले गणेशजी की मूर्ति घर में सकारात्मक ऊर्जा, शुभता और समृद्धि का संकेत देती है.
कमल के फूल पर विराजमान मां लक्ष्मी
ऐसी कोई मूर्ति न खरीदें, जिसमें माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर विराजमान हों. शास्त्रों के अनुसार, उल्लू पर विराजमान माता लक्ष्मी को “काली” का प्रतीक माना जाता है. इसके विपरीत, मां लक्ष्मी की मूर्ति कमल के फूल पर विराजमान होनी चाहिए. कमल शुद्धता, सुंदरता और स्थिर समृद्धि का प्रतीक है. कमल पर विराजमान लक्ष्मीजी समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक मानी जाती हैं.
मां लक्ष्मी की मुद्रा का भी रखें ध्यान
मूर्ति खरीदते समय यह भी देखें कि मां लक्ष्मी का दाहिना हाथ वरमुद्रा में हो और बाएं हाथ से वे सोने के सिक्कों की वर्षा कर रही हों. यह मुद्रा इस बात का संकेत है कि देवी अपने भक्तों पर धन, वैभव और सौभाग्य की वर्षा कर रही हैं.
साथ ही, यह बात भी बहुत महत्वपूर्ण है कि मां लक्ष्मी की मूर्ति खड़ी मुद्रा में न खरीदें. शास्त्रों में कहा गया है कि खड़ी हुई लक्ष्मी “जाने की मुद्रा” में होती हैं, अर्थात ऐसी मूर्तियां घर से लक्ष्मी के प्रस्थान का संकेत देती हैं. इसके विपरीत, विराजमान (बैठी हुई) लक्ष्मीजी स्थिरता और स्थायी समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं.
मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी की पूजा सबसे शुभ
भगवान गणेश का वर्ण लाल या सफेद बताया गया है. लाल रंग ऊर्जा, उत्साह और शक्ति का प्रतीक है, जबकि सफेद रंग शांति, पवित्रता और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है. इसीलिए, दिवाली पूजन पर लाल या सफेद वर्ण के गणेशजी की मूर्ति का पूजन मंगलकारी माना जाता है.