मध्यप्रदेश:– दीपावली को अक्सर सिर्फ भगवान राम की अयोध्या वापसी से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन सच यह है कि यह पर्व धर्म, दर्शन और आस्था के कई आयामों को समेटे हुए है. अंधकार पर प्रकाश की जीत का यह पर्व केवल एक कथा नहीं, बल्कि पांच अलग-अलग मान्यताओं की चमक से जगमगाता है.
- पहली कथा जैन धर्म से जुड़ी है. कहा जाता है कि दीपावली के दिन ही भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था. आत्मज्ञान और मोक्ष की यह घड़ी आज भी जैन अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र दिन मानी जाती है.
- दूसरी कथा महाभारत काल से संबंधित है. जब पांडव अज्ञातवास पूरा कर हस्तिनापुर लौटे, तब नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया. वही दीप आज भी विजय और पुनरागमन का प्रतीक माने जाते हैं.
- तीसरी मान्यता राजा विक्रमादित्य से जुड़ी है. दीपावली के दिन ही उनका राज्याभिषेक हुआ और उसी क्षण से विक्रम संवत की शुरुआत मानी गई.
- चौथी कथा भगवान विष्णु और राजा बलि से जुड़ी है. वामन अवतार में भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का शासन सौंपा, और उसी दिन ब्रह्मांड में संतुलन लौटने की खुशी में दीप प्रज्वलित किए गए.
- पांचवीं मान्यता सिख धर्म से जुड़ी है. जब गुरु हरगोबिंद सिंह जी ग्वालियर किले से रिहा हुए, तब यह दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया गया. आज भी सिख समुदाय इस दिन को दीपों और कृतज्ञता के साथ मनाता है.