मध्यप्रदेश:– दीपावली की रोशनी के बाद आने वाला बलि प्रतिपदा या गोवर्धन द्वितीया का पर्व इस साल 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा. यह दिन विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहां इसे ‘बलिप्रतिपदा’ या ‘बालिपद्यमी’ के नाम से जाना जाता है.
इस पर्व के केंद्र में दानवीर राजा महाबलि की प्रेरक कथा है. एक असुर राजा, जो अपने दान, धर्म और न्यायप्रियता के लिए देवताओं तक में पूजनीय बन गया. कथा के अनुसार, जब उनके दान और सामर्थ्य से स्वर्गलोक तक कांप उठा, तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और उनसे तीन पग भूमि का दान मांगा. राजा बलि ने बिना झिझक यह दान स्वीकार कर लिया.
वामन ने तत्पश्चात विराट रूप धारण किया. एक पग में उन्होंने आकाश नापा, दूसरे पग में पृथ्वी, और तीसरे पग के लिए स्थान न बचने पर राजा बलि ने अपना सिर आगे बढ़ा दिया. उनके समर्पण और वचनबद्धता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का अधिपति बनाया और स्वयं उनके द्वार पर द्वारपाल बनकर रहने का वचन दिया.
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इस दिन पति-पत्नी एक-दूसरे की आरती करते हैं, मिठाइयां बांटी जाती हैं और घरों में दीप सजाए जाते हैं. इसे प्रेम, विश्वास और समर्पण के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. बलि प्रतिपदा हमें यह सिखाती है कि सच्चा धर्म शक्ति या वैभव में नहीं, बल्कि त्याग, वचन और समर्पण में निहित है.