भोपाल,7 फरवरी । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इंदौर में भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर के नाम से संगीत अकादमी, संगीत महाविद्यालय और संग्रहालय स्थापित किया जाएगा। इंदौर में ही उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
श्री चौहान ने भारत रत्न स्वर कोकिला स्वर्गीय लता मंगेशकर की स्मृति में आज यहां स्मार्ट उद्यान में वट वृक्ष रोपा। उन्होंने पौधरोपण से पूर्व स्मार्ट उद्यान में सुश्री लता मंगेशकर के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान श्री चौहान के साथ भोपाल से संगीत एवं गायन के क्षेत्र में अपना योगदान देने वाले ख्यातनाम पंडित सज्जन लाल ब्रह्मभट्ट, उमाकांत गुंदेचा, कीर्ति सूद, आकृति मेहरा, धानी गुंदेचा, दिलीप महाशब्दे, साजिद खां और सलीम अल्लाहवाले ने मौलश्री और केसिया के पौधे लगाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संग्रहालय में लता जी का संगीत को दिया गया संपूर्ण योगदान उपलब्ध रहेगा। संगीत शास्त्र के विशेषज्ञों से चर्चा कर संग्रहालय का स्वरूप निर्धारित कर इसका निर्माण किया जाएगा। लता जी केवल संगीत की रोशनी नहीं थी, वे देशभक्ति का भी ऐसा हस्ताक्षर थी, जिससे पूरा देश प्रेरणा लेता था। उन्होंने कहा कि लता जी के जन्मदिन पर प्रतिवर्ष लता मंगेशकर पुरस्कार भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने स्वर कोकिला सुश्री लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि लता जी का जाना व्यक्तिगत क्षति है। यह अपने आप में एक अनोखी घटना है। प्रत्येक भारतवासी को यह लग रहा है कि यह उसकी व्यक्तिगत क्षति है। हर घर-परिवार को यह लग रहा है कि उनका बहुत कुछ चला गया, उनके गीत लोगों में नव-उत्साह, नव-ऊर्जा का संचार करते हैं। ‘ए मेरे वतन के लोगों’ गीत भारत की जनता के रोम-रोम में जैसे रम गया है। लता जी के स्वर ने संगीत को और उनके संपूर्ण योगदान ने देश को एक अलग पहचान दी।
श्री चौहान ने कहा कि लता जी के अवसान से ऐसी रिक्तता आयी है, जिसकी भरपाई संभव ही नहीं है। वे स्वयं व्यक्तिगत स्तर पर भी इस रिक्तता का अनुभव कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी समय मिलता, तब लता जी का संगीत सुनना उनकी रूचि रही है। उनका जाना ऐसी क्षति है, जिसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती। लता जी अपने गीतों के माध्यम से सदैव हमारे बीच बनी रहेंगी।