अमरत्व पा चुकीं स्वर कोकिला लता जी को श्रद्धा सुमन
होके अवाक सब मूक खड़े
सुर साध साधिका चली गई
बुला सबको एक छांव तले
उठ स्वयं वाटिका चली गई
जिस बंसी पे सभी मोहित थे
खुद तोड़ राधिका चली गई

गले में भरे चिर यौवन से
कर होड़ बालिका चली गई
लगता न था कभी रुकेंगे भी
अंक छोड़ तालिका चली गई
जिसके पुष्प कभी घटे नहीं
वह गीत मालिका चली गई