नई दिल्ली, 19 फरवरी। राजनीतिक दलों को उनके चुनावी घोषणा पत्र के प्रति जवाबदेही तय करने तथा अमल नहीं करने पर मान्यता रद्द करने का निर्देश देने की मांग को लेकर शनिवार को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई।
वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर इस याचिका में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की गुहार लगाई गई है कि वो राजनीतिक दलों के सत्ता में आने पर उन्हें अपने चुनावी घोषणा पत्र पर अमल कराने को लेकर आवश्यक कदम उठाएं। घोषणा पत्र पर अमल नहीं करने वाले दलों की मान्यता रद्द कर दी जाए।
श्री उपाध्याय का आरोप है कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा लुभावने वादे किए जाते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद वे जनता की कई बुनियादी जरूरतों से संबंधित वादों पर भी अमल नहीं करते। इस प्रकार लोकतंत्र का आधार कमजोर होता है।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि वह चुनाव आयोग और केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय को इस मामले मान्यता प्राप्त और पंजीकृत राजनीतिक दलों को अपने घोषणा पत्र पर अमल के मामले में नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दें।
याचिका में राजनीतिक दलों के घोषणापत्र और सत्ता में आने पर उसे लागू करने के सभी पहलुओं पर गौर कर संबंधित पक्षों को जरूरी निर्देश देने गुहार लगाई गई है।