बदलते पीढ़ियों के बीच फासले लगातार बढ़ते जा रहे हैं रिश्तों की डोर कमजोर होती जा रही है.
परिवारों के टूटने और एकल होते जाने का सिलसिला तो पुराना ही है, लेकिन अब एक छोटे से परिवार में भी रिश्तों में कई तरह के तनाव देखने को मिलते हैं!
क्या हम इसे सिर्फ ग्रहों का खेल मान सकते हैं या अपने कर्मों से जोड़कर देख सकते हैं?
क्या इस स्थिति के लिए सिर्फ व्यावहारिक मजबूरियों या रोजमर्रा के तनाव को बहाना बनाया जा सकता है?
हर ग्रह का एक खास गुण होता है। उसी गुण से मिलता जुलता रिश्ता उस ग्रह से प्रभावित होता है अगर रिश्ते से सम्बंधित ग्रह कमजोर हुआ तो रिश्ता बिगड़ जाता है। रिश्ता कमजोर हुआ तो सम्बंधित ग्रह भी कमजोर हो जाता है कोई ग्रह कुंडली में खराब है तो संबंधित रिश्ते को ठीक करके हम ग्रह को ठीक कर सकते हैं
_कौन सा ग्रह किस रिश्ते के लिए है जिम्मेदार ?
सूर्य पिता के रिश्ते से सम्बन्ध रखता है चन्द्रमा का संबंध माता से होता है मंगल भाई बहन का ग्रह माना जाता है बुध ननिहाल पक्ष का बृहस्पति ददिहाल पक्ष का कारक है बृहस्पति संतान पक्ष के रिश्तों का स्वामी होता है शुक्र दाम्पत्य जीवन के रिश्तों का ग्रह है शनि अपने अधीन लोगों के साथ रिश्तों का स्वामी है.
बताते चलें किसी भी रिश्ते को बनाने,निभाने में सबसे ज्यादा भूमिका चन्द्रमा और मंगल की ही मानी जाती है
रिश्तों में समस्या कब पैदा होती है
किसी रिश्ते में उस समय दूरी या खटास आने लगती हैं. जब कुंडली में रिश्तों के स्वामी ग्रह कमजोर होने लगते हैं इसके अलावा रिश्तों में राहु का प्रभाव अधिक होने पर भी रिश्तों में तनाव आ सकता है कुंडली में अग्नि तत्व की मात्रा ज्यादा है या फिर चन्द्रमा या मंगल की स्थिति खराब है तब भी रिश्तों में समस्या पैदा हो सकती है।
सूर्य का रिश्तों से संबंध
सूर्य सीधे तौर पर पिता के साथ हमारे रिश्ते से जुड़ा है अगर कोई व्यक्ति अपने पिता का सम्मान नहीं करता,हर बात पर उनके साथ तकरार करता है और वैचारिक भिन्नता को अपने व्यवहार में लाकर उनके साथ अपने रिश्ते खराब कर लेता है, तो सीधे तौर पर वह अपने सूर्य को कमजोर करता है कुंडली में सूर्य की स्थिति देखकर जातक के पिता के व्यक्तित्व को भी जाना जा सकता है।हो सकता है कि पिता सख्त हों, गुस्से वाले हों या फिर उनका व्यवहार रुखा हो ऐसे में बेटा या बेटी अगर उन्हें सम्मान नहीं देता, खुद को उनसे दूर कर लेता है या अपमानित करता है तो वह खुद ब खुद अपना सूर्य खराब कर रहा होता है इससे वह कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकता है, तरक्की नहीं कर सकता, हर वक्त तनाव में रह सकता है या फिर आर्थिक परेशानियों का शिकार रहता है अक्सर लोग ज्योतिषियों के पास इन्हीं समस्याओं को लेकर जाते हैं सूर्य को खुश करने के कई उपाय भी करते हैं,कोई सूर्य को जल चढ़ाता है तो कोई तांबे के बरतन में पानी पीता है तो कोई तांबे के कड़े पहनता है लेकिन ये सारे उपाय तब तक असर नहीं डालते जब तक उसके रिश्ते अपने पिता से मधुर नहीं होते या जब तक वह अपने पिता का आदर नहीं करता है।
रिश्तों पर चंद्रमा का प्रभाव
ऐसी ही स्थिति चंद्रमा के साथ है यहां पिता की जगह मां के साथ रिश्ते खराब होने से चंद्रमा खराब असर डालता है यह बेहद स्वाभाविक सा तथ्य है कि जिस मां ने जन्म दिया, तमाम मुश्किलें उठाकर बड़ा किया, उस मां के साथ दुर्व्यवहार करने, अपमानित करने से चंद्रमा नाराज होगा जिससे मानसिक बीमारियों के शिकार होते हैं तरक्की रुक जाती है और आर्थिक परेशानियों से घिर जाएंगे.
मंगल ग्रह का परिवार से नाता
हर रिश्ते का रिश्ता किसी न किसी ग्रह से होता है मंगल की वजह से आपके रिश्ते ससुराल वालों के साथ चाचा, चाची, ताऊ और दूसरे रिश्तेदारों से अच्छे या बुरे होते हैं मंगल आपके छोटे भाई बहन और उनसे बनते बिगड़ते रिश्तों की कहानी बताता है अच्छा मंगल आपकी मित्र मंडली से भी आपके रिश्ते मजबूत करता है जिसमें मित्रों और सहयोगियों की संख्या ज्यादा होती है।
बुध, गुरु और शुक्र का रिश्तों से संबंध
बुध भाई-बहन, मामा, मामी और यहां तक कि आपके विरोधियों से भी रिश्ते बन-बिगड़ सकते हैं गुरु यानी बृहस्पति और शुक्र आपके रिश्ते अपने जीवनसाथी और दोस्तों के साथ बेहतर बनाता है।
शनि और राहु-केतु का रिश्तों से संबंध
शनि की बदौलत भी पिता, सास-ससुर, बेटे-बेटियों और दोस्तों के साथ रिश्ते अच्छे बना सकता है राहु दादा के लिए है और केतु नाना के लिए राहु का संबंध आपके दादा के साथ साथ ससुराल पक्ष के लोगों के साथ भी जुड़ा है उनसे बेहतर रिश्ते आपको जीवन में आकस्मिक लाभ और तरक्की के मौके देते हैं इस तरह आपके सभी नौ ग्रह किसी न किसी रिश्ते से जुड़े हैं...