नई दिल्ली : हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। 26 सितंबर से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। आज नवरात्रि का आंठवा दिन है. नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की विशेष आराधना की जाती है। इन नौ दिनों में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है, इसे दु्र्गाष्टमी या महाष्टमी भी कहा जाता है। अष्टमी तिथि पर 2 से 10 साल की उम्र की नौ कन्याओं की पूजा,भोजन और उपहार देते हुए दुर्गा मां की पूजा की जाती है। मान्यता है 2 से 10 साल की उम्र तक की कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता है। आइए जानते हैं कब है अष्टमी तिथि और क्या है इसका महत्व…
मां महागौरी की पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद व्रत रखें और मां महागौरी की पूजा का संकल्प करें. उसके बाद मां महागौरी को जलाभिषेक करें. फिर उनको पीले फूल, अक्षत्, सिंदूर, धूप, दीप, कपूर, नैवेद्य, गंध, फल आदि अर्पित करते हुए पूजन करें. इस दौरान मंत्र जाप करते रहें. फिर मातारानी को नारियल, हलवा, काला चना, पुड़ी आदि का भोग लगाएं. फिर मां महागौरी की कथा पढ़ें और आरती करें.
दुर्गा महा अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त 2022
अक्टूबर 3, 2022 को 16:39 पर अष्टमी समाप्त
इसके बाद 02 से 10 साल की उम्र की कन्याओं को भोजन पर आमंत्रित करें. उनका पूजन करें. चरण स्पर्श करके आशीष लें. उपहार और दक्षिणा दें. सबसे अंत में नवरात्रि का हवन विधिपूर्वक संपन्न करें. फिर दुर्गा आरती करें.
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥ जय महागौरी…
चंदेर्काली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता।
कोशकी देवी जग विखियाता॥ जय महागौरी…
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती ‘सत’ हवं कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥ जय महागौरी…
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बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आने वाले का संकट मिटाया॥ जय महागौरी…
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥ जय महागौरी…