नई दिल्ली:– सड़क दुर्घटनाओं के मामले भारत में हर साल तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार एक वर्ष में साढ़े चार लाख से अधिक सड़क हादसे होते हैं, जिनमें लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है। सड़क दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह वाहन चलाने के दौरान ड्राइवरों की नींद लगना है। इसी समस्या का समाधान भोपाल स्थित मौलाना आजाद प्रोद्यौगिकी संस्थान (मैनिट) के छात्र अभिषेक मिश्रा ने अपने एक एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम के माध्यम से निकाला है।
अभिषेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में एमटेक के छात्र हैं । उन्होंने प्रो. राजेश पुरोहित के मार्गदर्शन में ऑटोमोबाइल चालक की मनोदशा की पहचान के लिए एक ऐसा सिस्टम बनाया है, जो वाहन चलाते हुए ड्राइवर की आंख लगने पर तुरंत उसे अलर्ट करेगा। गाड़ी चलाते हुए ड्राइवर की यदि आंख लगती है तो सायरन बजने लगेगा। साथ ही ड्राइवर की सीट में वाइब्रेशन होगा, जिससे कि तुरंत वह अलर्ट हो जाएगा, इससे दुर्घटना से बचाव हो सकेगा और वह दोबारा ध्यानपूर्वक वाहन चला सकेगा।
यह माॅडल रास्पबेरी पाई सिस्टम पर कार्य करता है, जो आई एस्पेक्ट रेशियो तकनीकका उपयोग कर तैयार किया गया है। इसमें रास्पबेरी पाई सिस्टम, पाई कैमरा एवं अन्य उपकरणों को ऑटोमोबाइल में इंस्टाल किया जाता है। ड्राइवर सीट के सामने पाई कैमरा ड्राइवर की आखों पर नजर रखता है।
यदि आंख बंद होती है तो तुरंत कैमरा सिस्टम को संदेश भेजता है, जिसके बाद कार में सायरन और सीट में वाइब्रेशन शुरू हो जाता है। अभिषेक ने बताया कि इस तकनीक को एल्गोरिदम से सेट किया गया है। हमने इस सिस्टम से 100 से अधिक टेस्ट कर चुके हैं, जिनके नतीजे 90 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
प्रो. राजेश पुरोहित ने बताया कि ऑटोमेशन व्हीकल यातायात की भीड़ को कम करते हैं और सुरक्षा बढ़ाते हैं।
यह अनेक अनुप्रयोगों में आर्टिफिशियल तकनीकों के विकास के कारण है।
जैसे-जैसे सड़कों पर वाहनों का भार बढ़ता जा रहा है, ट्रैफिक जाम के कारण यात्रा का समय भी बढ़ रहा है।
इससे चालक को नींद या उनींदापन महसूस होने लगता है।
उनींदापन का सीधा सा मतलब है सो जाना और दिन के समय इसे असामान्य नींद माना जाता है।
ड्राइवरों का यह उनींदापन दुर्घटनाओं की आवृत्ति को बढ़ाता है।