यूपी:– बिहार SIR के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फिर से बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिहार एसआईआर प्रक्रिया में मतदाताओं को शामिल करने के लिए पहचान के तौर पर आधार कार्ड को “12वां दस्तावेज़” माना जाए.” हालांकि बिहार SIR पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि- आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आधार से संबंधित स्पष्ट निर्देश अपने अधिकारियों को जारी करे.
बिहार चुनाव से पहले विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य से जुड़े मामलों को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई शुरू हो गयी है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय माल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कोर्ट के सामने दलीलें पेश कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आज फिर से आधार को नागरिकता के सबूत के रूप में मान्यता देने की मांग उठाई. सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि आधार को नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाए. सिब्बल ने कहा कि मुद्दा यह है कि आधार दस्तावेज के तौर पर मान्य है या नहीं. उन्होंने कहा कि नागरिकता बीएलओ तय नहीं कर सकता और 11 दस्तावेजों के अलावा आधार को भी शामिल किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जो बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ राजनीतिक दलों और अन्य लोगों ने दाखिल की हैं. दरअसल चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार की मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण कराने का आदेश दिया था. इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए राजद और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. चुनाव आयोग का कहना है कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5% लोगों ने अपनी पात्रता से जुड़े दस्तावेज जमा कर दिए हैं.
इधर, बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें भले अभी घोषित न हुई हों, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बक्सर जिले की राजपुर सुरक्षित सीट पर एनडीए उम्मीदवार का नाम पहले ही बता दिया है. एक सभा में उन्होंने पूर्व मंत्री संतोष कुमार निराला को उम्मीदवार घोषित किया और जनता से उनके पक्ष में वोट देने की अपील की. अब इस कदम को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि यह नीतीश का बड़ा दांव है या फिर राजनीतिक मजबूरी.
वहीं, बिहार की राजनीति में एक नया विवाद भी खड़ा हो गया है. राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव ने तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की. उनके इस बयान से सियासत गर्मा गई है. राजद नेताओं ने कड़ी नाराजगी जताई और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. तेजस्वी के बड़े भाई और पूर्व राजद नेता तेज प्रताप यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि राजबल्लभ यादव अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं, इसलिए उन्हें पहले ही राजद से बाहर कर दिया गया था. तेज प्रताप ने कहा कि महिलाओं पर इस तरह की टिप्पणी करना अपराध है और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।