रायपुर:- आरटीई इसके तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट RTE के जरिए भरा जाना अनिवार्य है. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगाये गए हैं, जिनकी अंतिम तिथि 31 मार्च है. आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 17 मार्च से 25 अप्रैल तक नोडल अधिकारी दस्तावेजों की जांच करेंगे. इसके बाद लॉटरी से सीटों का आवंटन 1 या 2 मई को किया जाएगा. 5 से 30 मई तक चिन्हांकित स्कूलों में लॉटरी से चयनित विद्यार्थियों को प्रवेश देने की प्रक्रिया चलेगी. सीट खाली रहने पर दूसरे चरण की प्रक्रिया होगी.
आरटीई के तहत स्कूलों में एडमिशन: इस बार 33 जिलों में कुल 6746 स्कूलों में प्रवेश दिया जाना है. इसके लिए 51713 सीट निर्धारित की गई है. इस सीट के लिए 68609 आवेदन अब तक मिल चुके हैं. पिछले सत्र की बात की जाए तो इस बार तीन स्कूल आरटीई से बाहर कर दिए गए हैं, जबकि 6000 से अधिक सीट कम की गई है. आरटीई के तहत होने वाले एडमिशन में देखा गया है कि निर्धारित सीटों पर भी पूरे छात्रों की भर्ती नहीं हो पाती है, हजारों सीट खाली रह जाती है. इसे लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी विजय खंडेलवाल का कहना है “यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. ऐसे में बच्चे एडमिशन ले रहे हैं या नहीं ले रहे हैं, यह उनकी मर्जी पर है. जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि बच्चों की भर्ती की एवज में स्कूलों को दी जाने वाली राशि का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया जाता है. शासन इसका भुगतान सीधे स्कूलों को करता है.
हिंदी मीडियम स्कूलों में खाली रह रही सीटें: वहीं निजी स्कूलों में पूरी सीट ना भरे जाने के सवाल पर छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि आईटीई के तहत बच्चे हिंदी माध्यम स्कूलों में प्रवेश नहीं लेना चाहते. इस वजह से उनकी सीट खाली रह जाती है. यह लगभग कुल सीटों का 10% है. इस दौरान यह भी देखा जाता है कि 1 किलोमीटर परिधि में विद्यार्थी किसी विशेष स्कूल में प्रवेश लेने जाते हैं, लेकिन वहां सीट खाली नहीं रहती है, ऐसी स्थिति में उसके आसपास की अन्य स्कूलों में भी बच्चा प्रवेश नहीं लेता है, जिस वजह से उन स्कूलों की सीट खाली रह जाती है.
150 करोड़ का बजट देने की मांग: आरटीई के तहत एडमिशन लेने वाले बच्चों के लिए सरकार राशि जारी करती है. इसकी वर्तमान स्थिति को लेकर राजीव गुप्ता ने कहा कि साल 2019 से इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है. पेमेंट समय पर मिल रहा है. राजीव गुप्ता ने कहा कि पहले इसके लिए 65 करोड़ का बजट में प्रावधान था. जिसे बढ़ाकर इस बार 100 करोड़ किया गया है, लेकिन सीटों की संख्या देखते हुए इसका बजट लगभग 150 करोड़ किया जाना चाहिए. यदि बजट बढ़ाया जाता है, तो स्वाभाविक है कि सभी स्कूलों को समय पर राशि मिल सकेगी.
इस दौरान राजीव गुप्ता ने आरटीई के तहत एडमिशन लेने वाले छात्रों की कुछ परेशानियां और स्कूल प्रबंधन की दिक्कतों को भी साझा किया. उन्होंने बताया कि जब आरटीई के तहत बच्चों को स्कूल प्रवेश दिया जाता है तो उसे दौरान बच्चों को थोड़ी परेशानी होती है. स्कूलों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उदाहरण के तौर पर सामान्य बच्चे घर में या अन्य जगहों पर कोचिंग पढ़कर थोड़ा सा तेज होते हैं, ऐसे में आईटीई के तहत प्रवेश पाने वाले बच्चों को उसे कवर करने में थोड़ी दिक्कत होती है क्योंकि उन्हें घर में पढ़ाने वाला कोई नहीं होता है. वह कोचिंग नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा स्कूल, ड्रेस, कॉपी किताब को लेकर भी कुछ परेशानी होती है.
राजीव गुप्ता ने बताया कि इन बच्चों की ड्रेस के लिए शिक्षा विभाग की ओर से साल 2012 से 540 रुपए दिया जाता है, इतनी राशि में दो ड्रेस आना संभव नहीं है. इसलिए स्कूल प्रबंधन बच्चों को यह राशि दे देता है. इसके बाद बच्चे बाजार से ड्रेस खरीदते है. हमारी मांग है कि इस राशि को 2000 किया जाए.
आरटीई के तहत प्रति बच्चों को दी जाने वाली राशि काफी कम: गुप्ता ने बताया “शिक्षा विभाग की ओर से आरटीई के तहत एडमिशन पर बच्चों के लिए दी जाने वाली राशि भी काफी कम है. इसे बढ़ाने की मांग भी वे लगातार करते आ रहे हैं. पिछले 12 सालों से आरटीई के बच्चों के लिए 7000 रुपये प्रति बच्चों के हिसाब से दी जा रही है. कई ऐसे स्कूल है जहां 30000 से ज्यादा फीस है, लेकिन 7000 में वे इन बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो स्वाभाविक है कि ऐसे बच्चों को पढ़ने में स्कूल थोड़ी आना कानी कर सकते हैं, क्योंकि राशि का काफी अंतर है. इस दिक्कतों को देखते हुए हमने इस राशि को 15000 से 20000 तक करने की मांग की है. यदि जल्द स्कूल शिक्षा विभाग नहीं मानता है, तो हाई कोर्ट में केस लंबित है, उम्मीद है कि जल्द इसका निर्णय आएगा.
शिक्षा के अधिकार के तहत साल 2024-25 में 1 लाख 22 हजार से ज्यादा आवेदन मिले थे लेकिन निजी स्कूलों में 8000 से अधिक सीट खाली रह गई. प्रदेश भर में 6749 निजी स्कूल हैं, जिसमें 54367 सीट हैं. इसमें से 46219 सीटों पर एडमिशन हुआ, जबकि लगभग 8000 सीट खाली रह गई. वहीं रायपुर जिले में लगभग 800 निजी स्कूलों में आरटीई के तहत 6000 सीट आरक्षित है. जिसमें से लगभग 1000 सीट खाली रह गई.