नई दिल्ली:– सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ या फिर अच्छे काम के दौरान कलावा बांधने की प्रथा है। इसे रक्षासूत्र भी कहा जाता है। मान्यता है कि जिस किसी के भी हाथ में ये कलावा होगा, उससे दुनिया भर की बुरी नजर हमेशा दूर रहेगी। ऐसा भी माना जाना है कि कलावा के हाथ में होने से हमारी अच्छी ऊर्जा हमारे पास ही रहती है। साथ ही देवी देवताओं की कृपा भी हम पर लगातार बनी रहती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कलावा को लेकर कुछ नियम भी होते हैं जो अमूनन लोग नजरअंदाज ही करते हैं। कवाला को पहनने से लेकर उतारने के कई नियम है जोकि ज्योतिष शास्त्र में है। सबसे बड़ा एक सवाल जो हर किसी के मन में होता है कि आखिर कलावा को कितनी बार हाथ में लपेटना चाहिए? अगर आपको भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो नीचे डालें एक नजर…
इतनी बार कलावा लपेटना होता है शुभ
ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से अगर आप कलावा बंधवा रहे हैं तो मुट्ठी जरूर बंद कर लें। यहां पर ध्यान देने वाली बात ये है कि इस दौरान आपकी मुट्ठी में कुछ ना कुछ जरूर होना चाहिए। चाहे तो रुपये ले सकते हैं या कुछ सिक्के या फिर अन्न के कुछ दाने। इसके साथ ही दूसरे हाथ को अपने सिर पर रख लेना चाहिए। इसी के साथ जो भी कलावा बांधे, उसे दक्षिणा के रुप में कुछ देना भी चाहिए। एक सवाल जो लोगों के मन में काफी रहता है कि आखिर कलावा कितनी बार लपेटना होता है। बता दें कि 3, 5 या फिर 7 बार कलावे को हाथ में लपेटना सबसे अच्छा माना जाता है।
कलावा बांधने के बीचे वैज्ञानिक कारण
बता दें कि कवाला बांधने के पीछे सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है। कलावा हमारी कलाई में बांधा जाता है और कोई भी धागा यहां पर रहने से वो एक्यूप्रेशर का काम करता है। इसी के साथ कलावा से घर में सौभाग्य आता है और सुख-समृद्धि में हमेशा बढ़ोतरी ही होती है।
