फ्लोरिडा: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 50 साल बाद चंद्रमा पर अपना मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. अर्टेमिस-1 मिशन नासा के मंगल मिशन के बाद सबसे जरूरी मिशन है. नासा इस रॉकेट के जरिए चंद्रमा पर ओरियन स्पेसशिप भेज रहा है. यह स्पेसशिप 42 दिनों में चंद्रमा की यात्रा करके वापस आएगा.
जानिए इस मिशन की सभी महत्वपूर्ण बातें…अर्टेमिस-1 मिशन के दौरान ओरियन और SLS रॉकेट चंद्रमा तक जाकर और धरती पर वापस आएंगे. इस दौरान दोनों ही अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे.यह भविष्य में होने वाले मून मिशन से पहले का लिटमस टेस्ट है. अगर यह सफल होता है तो साल 2025 तक अर्टेमिस मिशन के तरह पहली बार चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट को भेजा जाएगा. अर्टेमिस-1 मिशन के बाद ही नासा वैज्ञानिक चंद्रमा तक जाने के लिए अन्य जरूरी तकनीकों को डेवलप करेंगे. ताकि चंद्रमा से आगे मंगल तक की यात्रा भी हो सके.
NASA के केनेडी स्पेस स्टेशन पर SLS रॉकेट और ओरियन को लॉन्च पैड 39बी से छोड़ा जाएगा. यह लॉन्च पैड अत्याधुनिक है.इस रॉकेट को पांच सेगमेंट वाले बूस्टर्स से लॉन्च किया जाएगा. जिनमें से चार में RS-25 इंजन लगे हैं. ये इंजन बेहद आधुनिक और ताकतवर हैं. ये 90 सेकेंड में वायुमंडल के ऊपर पहुंच जाएंगे. सॉलिड बूस्टर्स दो मिनट से पहले ही अलग हो जाएंगे. इसके बाद RS-25 इंजन करीब 8 मिनट बाद अलग होगा.
फिर सर्विस मॉड्यूल और स्पेसशिप को उसके बूस्टर्स अंतरिक्ष में आगे की यात्रा के लिए एक जरूरी गति देकर छोड़ देंगे.ओरियन स्पेसशिप सर्विस मॉड्यूल के साथ क्रायोजेनिक प्रोपल्शन स्टेज से लॉन्च के दो घंटे बाद अलग होगा. इसके बाद ICPS दस छोटे सैटेलाइट्स यानी क्यूबसैट्स को अंतरिक्ष में तैनात करेगा.ये सैटेलाइट्स इस मिशन के दौरान ओरियन की यात्रा और सुदूर अंतरिक्ष की गतिविधियों पर नजर रखेंगे. सर्विस मॉड्यूल को यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने बनाया है.
मॉड्यूल ही ओरियन का मुख्य प्रोपल्शन सिस्टम है. ओरियन चंद्रमा के सबसे नजदीक 97 KM और सबसे दूर 64 हजार KM की यात्रा करेगा. चंद्रमा पर यह अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. पहली बार इंसानों द्वारा इंसानों के लिए बनाया गया कोई स्पेसशिप अंतरिक्ष में इतनी दूर जाएगा. ओरियन चंद्रमा का दूसरा चक्कर लगाने के बाद अपने इंजन को ऑन करेगा. उसकी ग्रैविटी से बाहर निकल कर धरती की तरफ यात्रा करेगा.